सोना खरीदना हमारी भारतीय सभ्यता से बिल्कुल ऐसे जुड़ा हुआ है जैसे मानो कि हमें तो बस सोना खरीदने का बहाना चाहिए. शादी हो, त्योहार हो, घर में किसी बच्चे का जन्म हो, पूजा-पाठ हो या कोई और उत्सव हो, चाहे-अनचाहे हम सोने की खरीदारी करते ही है. महिलाओं के लिए तो सोना सिर्फ श्रृंगार नहीं बल्कि निवेश का भी सबसे बड़ा विकल्प होता है.
घर-परिवार में हमें अक्सर ये सुनने को मिल ही जाता है कि सोना खरीद लो, कभी अचानक जरूरत आन पड़ी तो काम आएगा. ऐसा इसलिए कि सोना काफी लिक्विड एसेट माना जाता है यानी किसी भी वक्त आप इसे बेचकर कैश में बदल सकते हैं.
अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी को लोग शुभ मानते हैं. हालांकि इस साल सोने की कीमतों आए बड़े उछाल ने सोने के खरीदारों को इस असमंजस में डाल दिया है कि इन स्तरों पर सोना खरीदें या नहीं. MCX पर सोना 72,500 के भी पार निकल गया है.
ऐसे में कोई ये सोच रहा है कि थोड़ी कीमतें घटें तो खरीदारी करें तो किसी का ये मानना है कि आगे और भी महंगाई बढ़े उससे पहले ही थोड़ी खरीदारी कर लें. 2 सवाल यहां मौजूं हैं. पहला-क्या सोने की कीमतें और बढ़ेंगी? दूसरा- सोने में निवेश का स्मार्ट तरीका क्या हो सकता है जिससे रिटर्न को और बेहतर बनाया जा सके.
सोने में आएगी और तेजी?
सोने की कीमतों पर कई फैक्टर्स का असर पड़ता है. जियोपॉलिटिकल से लेकर सेंट्रल बैंकों की पॉलिसी तक इसकी कीमतों पर असर डालते हैं. हमने इसे समझने के लिए बात की मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी और करेंसी हेड, किशोर नार्ने से. किशोर का ये मानना है कि सोने की कीमतें यहां से और बढ़ेंगी और ये 75 से 76 हजार तक जा सकती हैं. इसके पीछे किशोर नार्ने 3 बड़े फैक्टर्स का जिक्र करते हैं
दुनिया इस वक्त वॉर की दिक्कतों को झेल रही है. यूक्रेन-रूस और इजरायल-हमास युद्ध ने पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ा रखी है. ऐसे में जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से सोने की चमक भी बढ़ी है क्योंकि युद्ध की स्थिति में लोग सोने में निवेश को सुरक्षित मानते हैं
फेड समेत तमाम सेंट्रल बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से भी सोने को सपोर्ट मिला है. ब्याज दरें कम होने से निवेश के लिए लोगों का रुझान गोल्ड की तरफ बढ़ता है इसलिए भी सोने की कीमतें आगे चलकर बढ़ सकतीं हैं
जनवरी से मार्च के बीच तमान सेंट्रल बैंकों ने सोने की भरपूर खरीदारी की है. सेंट्रल बैंकों की तरफ से आई इस खरीदारी की वजह से भी सोने की कीमतों को सहारा मिल रहा है.
गोल्ड में निवेश का स्मार्ट तरीका
कमोडिटी मार्केट का लंबा अनुभव रखने वाले किशोर नार्ने का मानना है कि सॉवरेज गोल्ड बॉन्ड, रिटेल निवेशकों के लिए काफी बेहतर विकल्प है. SGB में निवेश की सुरक्षा को लेकर कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि ये सरकार की स्कीम है और इसे मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर कैपिटल गेन पर छूट भी मिलती है. किशोर कहते हैं कि सॉवरेज गोल्ड बॉन्ड को हमेशा लॉन्ग टर्म एसेट के तौर पर देखना चाहिए. हालांकि अगर किसी को मैच्योरिटी से पहले एग्जिट करना हो तो वो सेकेंड्री मार्केट के जरिए एग्जिट कर सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड पर किशोर नार्ने का मानना है कि छोटा निवेश करना हो तो इसमें निवेश करना आसान है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो इसमें थोड़ी चुनौतिया हैं क्योंकि फिलहाल डिजिटल गोल्ड को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं है.
गोल्ड ETF में निवेश कितना बेहतर?
गोल्ड ETFs में निवेश लगभग-लगभग म्यूचुअल फंड में निवेश की तरह ही होता है. इसमें निवेश भी NAV भी म्यूचुअल फंड्स की तरह NAV पर चलता है. किशोर नार्ने का ये मानना है 'अब आप गोल्ड ETF में मिलीग्राम के हिसाब से खरीदारी कर सकते हैं जो पहले ग्राम के हिसाब से ही होता है. हालांकि गोल्ड ETF में निवेश पर एसेट मैनेजमेंट फीस देनी पड़ती है लेकिन सुरक्षित निवेश के लिहाज से देखें तो ETFs को हर निवेश के बराबर वैल्यू का फिजिकल गोल्ड रखना होता है यानी आपका निवेश सुरक्षित भी है'.
किशोर नार्ने के साथ NDTV Profit हिंदी की ये खास बातचीत आप यहां देख सकते हैं.