Budget 2024: इंश्योरेंस सेक्टर की सेहत सुधारने के लिए इंडस्ट्री की हैं ये 5 मांगें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 में एक बड़ा फैसला किया था. उन्होंने 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा प्रीमियम वाली लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर टैक्स लगा दिया था.

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बजट का बिगुल बज चुका है, बस चंद दिनों की बात है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारण नए संसद भवन में लगातार सातवीं बार बजट भाषण पढ़ने के लिए खड़ी होंगी तो करोड़ों लोगों की नजरें टीवी से चिपकी होंगी, इस उम्मीद में कि उनके लिए इस बजट में क्या होगा. आम आदमी से लेकर देश की इंडस्ट्रीज, किसान और नौकरीपेशा लोग, सबकी अपनी ख्वाहिशों की बजट लिस्ट तैयार हैइंश्योरेंस सेक्टर भी इस बार वित्त मंत्री से कई राहतों की उम्मीद लगाए बैठा है, तो चलिए समझते हैं कि इस बजट से इंश्योरेंस सेक्टर क्या चाहता है.

डिमांड्स की फेहरिस्त काफी लंबी है, हम यहां पर उन 5 बड़ी मांगों का जिक्र कर रहे हैं, जिसके पूरा होने की उम्मीद इंश्योरेंस इंडस्ट्री लगाए बैठी है.

एन्युटी को टैक्स फ्री किया जाए

इंश्योरेंस इंडस्ट्री की डिमांड है कि एन्युटी पर लगने वाले टैक्स को या तो कम किया जाए या फिर इसे खत्म किया जाए. लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां रिटायरमेंट के बाद ताउम्र पेंशन के लिए एन्युटी स्कीम ऑफर करती हैं, लेकिन ये टैक्स फ्री नहीं है. जो लोग नौकरी के बाद पेंशन के लिए एन्युटी लेते हैं, अगर उन्हें टैक्स से छूट मिल जाए तो रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इस स्कीम को ज्यादा बढ़ावा मिलेगा, इसका फायदा रिटायरमेंट के बाद लोगों को होगा साथ ही इंडस्ट्री को भी होगा.

हेल्थ और लाइफ के लिए अलग टैक्स ब्रैकेट

एक मांग बहुत लंबे समय से चली आ रही है कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अलग से टैक्स ब्रैकेट की. अलग अलग टैक्स बेनेफिट्स देने के लिए इंश्योरेंस एक्सपर्ट 80C, 80D में बदलाव चाहते हैं.

इंश्योरेंस इंडस्ट्री का कहना है कि सेक्शन 80C और 80D के तहत टर्म लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अलग-अलग टैक्स बेनेफिट कवरेज गैप को खत्म करने में मदद करेगा साथ ही सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने में भी सहायक होगा. बाकी सेक्शन के तहत क्लेम के कारण कटौती किए बिना ही टैक्सेबल इनकम से टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए फुल डिडक्शन की मंजूरी देने से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जरूरी कवरेज में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलेगा.

एंडोमेंट प्लान पर टैक्स खत्म किया जाए

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 में एक बड़ा फैसला किया था. उन्होंने 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा प्रीमियम वाली लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर टैक्स लगा दिया था. यानी 31 मार्च, 2023 के बाद खरीदी गई पॉलिसी की मैच्योरिटी के बाद मिलने वाली रकम पर टैक्स देना होगा, हालांकि इसमें से ULIP को बाहर रखा गया था. इसके पहले मैच्योरिटी की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता था. इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए ये बहुत बड़ा झटका था, अब इंडस्ट्री की मांग है कि वित्त मंत्री इसको फिर से पहले जैसा टैक्स फ्री कर दें.

80C की लिमिट बढ़ाई जाए

80C के तहत लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को क्लेम किया जाता है, लेकिन लिमिट सिर्फ 1.5 लाख रुपये ही है, जिसमें कि तमाम दूसरे तरह के क्लेम्स शामिल हैं. इंडस्ट्री की मांग है कि इसकी लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 2 लाख रुपये कर दिया जाए. टर्म लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर फुल टैक्स डिडक्शन मिलना चाहिए, न कि सेक्शन की लिमिट की वजह से उसमें किसी तरह की कोई कटौती होनी चाहिए. इस कदम से ज्यादा से ज्यादा लोग इंश्योरेंस खरीदने के लिए प्रेरित होंगे.

इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर GST खत्म हो

इंश्योरेंस इंडस्ट्री की अगली मांग है कि इंश्योरेंस उत्पादों पर लगने वाले GST को खत्म किया जाए. लाइफ इंश्योरेंस पर 18% का GST लगता है, जिसकी वजह से ये महंगा हो जाता है. इंडस्ट्री का कहना है कि इंश्योरेंस कोई लग्जरी नहीं है, इसलिए इस पर GST लगाना उचित नहीं है. GST हटाने से इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स सस्ते होंगे जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा खरीदेंगे.