बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में इंडेक्सेशन को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. इन नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में प्रॉपर्टी, गोल्ड, सिल्वर जैसी चीजें आती हैं. हालांकि 2001 तक खरीदी गई प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन की अनुमति दी गई है.
इस बीच LTCG की दर 20% से कम कर 12.5% कर दिया गया है. जबकि अब छूट की लिमिट को भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है.
दरअसल इंडेक्सेशन में किसी अवधि की महंगाई के साथ-साथ प्रॉपर्टी की मरम्मत या इसके डेवलपमेंट में खर्च किए गए पैसे का भी डिडक्शन मिलता था.
क्या होता है इंडेक्सेशन? उदाहरण से समझें
जैसा ऊपर बताया, महंगाई और रखरखाव-डेवलपमेंट चार्ज को इंडेक्सेशन में कैलकुलेट किया जाता है. इससे आपकी एसेट पर्चेज वैल्यू ज्यादा हो जाती है और टैक्स लायबिलिटी कम होती है.
उदाहरण के तौर पर कोई प्रॉपर्टी आपने 10 लाख रुपये की खरीदी. 5 साल बाद आप इसे 20 लाख रुपये की बेचते हैं. इस तरह आपका 10 लाख रुपये का मुनाफा या कहें कि कैपिटल गेन हुआ है. इस कैपिटल गेन पर LTCG (Long Term Capital Gain) टैक्स लगता है.
लेकिन इंडेक्सेशन के चलते आपकी पर्चेज वैल्यू 10 लाख रुपये से बढ़ जाएगी. कैसे? दरअसल इंडेक्सेशन के तहत 5 साल की महंगाई दर का कैलकुलेशन किया जाएगा. अगर 6% की महंगाई दर रही, तो 5 साल में आपकी पर्चेज वैल्यू 10 लाख रुपये से बढ़कर 13,38,000 रुपये पहुंच जाएगी.
मतलब उस समय के 10 लाख रुपये की वैल्यू, 5 साल बाद 13,38,000 के बराबर है. अब आपका कैपिटल गेन बचेगा 6,42,000 रुपये. इसमें भी अगर आपने प्रॉपर्टी को डेवलप करने में जो रकम खर्च की है, वो भी कुल गेन से कम होगी. मसलन आपने 1 लाख रुपये अपनी प्रॉपर्टी की मरम्मत कर बेहतर बनाने में खर्च किए, तो आपको 5,42,000 रुपये के कैपिटल गेन पर टैक्स देना होगा.
इंडेक्सेशन को खत्म करने से एक बड़ी डिबेट शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर लोग जमकर विरोध भी कर रहे हैं.