Economic Survey 2024: संसद का मॉनसून सत्र आज सोमवार (22 जुलाई) से शुरू हो रहा है. मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट पेश करेंगी. ये बजट, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए होगा.
इससे एक दिन पहले यानी आज 22 जुलाई को देश का इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey of India) पेश किया गया, जिसमें देश के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा है.
इकोनॉमिक सर्वे होता क्या है, इसका महत्व क्या है, ये देश के लिए क्यों जरूरी है और इसमें आपके लिए क्या अहम जानकारियां होती हैं, इन सब के बारे में जानते हैं विस्तार से.
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे?
हर साल बजट से एक दिन पहले सरकार, इकोनॉमिक सर्वे पेश करती है. ये देश का फाइनेंशियल डॉक्युमेंट होता है, वित्त मंत्रालय का एक ऐसा सालाना दस्तावेज, जिसमें देश की इकोनॉमी से जुड़ा तमाम लेखा-जोखा होता है.
ये देश की इकोनॉमी की पूरी तस्वीर पेश करता है. इसमें इकोनॉमी की स्थिति, संभावनाओं और नीतिगत चुनौतियों का विस्तृत ब्यौरा होता है.
इसमें बीते वित्त वर्ष के रोजगार, GDP, महंगाई और बजट घाटे की जानकारी देने वाले काफी महत्वपूर्ण आंकड़े होते हैं और उनका व्यापक विश्लेषण भी होता है.
इसे वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट की इकोनॉमिक डिवीजन, चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर की देखरेख में तैयार करता है.
इस बार का इकोनॉमिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुआई वाली टीम ने तैयार किया है.
इकोनॉमिक सर्वे का इतिहास
पहली बार वित्त वर्ष 1950-51 में देश में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया था. इकोनॉमिक सर्वे को पहले बजट के साथ ही पेश किया जाता था.
साल 1964 के बाद से इसे बजट से अलग किया गया और बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा. इससे लोगों को बजट से एक दिन पहले देश की इकोनॉमी का हाल पता लगने लगा.
इस साल चुनाव से पहले 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था. ये सरकार का पूर्ण बजट नहीं था, इसलिए तभी सरकार ने से पहले आर्थिक सर्वे पेश नहीं किया गया था, बस इकोनॉमी के बारे में जानकारी दी गई थी. अब नई सरकार गठन के बाद पहला पूर्ण बजट पेश होने वाला है.
क्यों महत्वपूर्ण है इकोनॉमिक सर्वे?
इकोनॉमिक सर्वे से न केवल पिछले वित्त वर्ष का आर्थिक लेखा-जोखा मिलता है, बल्कि आने वाले समय में क्या चुनौतियां हैं, इसका भी अंदाजा मिलता है.
इससे ये स्पष्ट होता कि देश के आर्थिक विकास में क्या-क्या चीजें बाधा डाल रही हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इस पर भी चर्चा होती है.
इकोनॉमिक सर्वे में इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, टेेलिकॉम, स्टील समेत कई अन्य अलग-अलग सेक्टर्स की चुनौतियों और संभावनाओं का भी जिक्र होता है.
इकोनॉमिक सर्वे बताता है कि इकोनॉमी की रफ्तार बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए सरकार को कौन-से कदम उठाए जाने की जरूरत है.
आम लोगों के क्यों है जरूरी?
इकोनॉमिक सर्वे से आम लोगों को ये समझने में मदद मिलती है कि देश की इकोनॉमी कैसी है. इसमें महंगाई और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण आंकड़ों के बारे में भी पता चलता है. इन जानकारियों की बदौलत हमें खर्च, निवेश और बचत जैसे फैसले करने में सहूलियत होती है.
इकोनॉमिक सर्वे में सरकार की नीतियों की जानकारी होती है, जिससे ये समझने में आसानी होती है कि कौन-सी नीति लागू हो रही है और उसका क्या असर पड़ सकता है.
इकोनॉमिक सर्वे में समाजिक और आर्थिक समस्याओं का भी ब्यौरा होता है और उनसे निपटने के उपाय भी बताए जाते हैं. इस बारे में भी जानना-समझना आम लोगों के लिए अच्छा रहता है.
खासकर निवेशकों के लिए ये अहम होता है, उन्हें ये समझने में सहूलियत होती है कि बजट में सरकार का फोकस किन सेक्टर में रहने वाला है और इससे वे निवेश की प्लानिंग कर सकते हैं.