Budget 2025: बजट सत्र में नए इनकम टैक्स बिल का प्रस्ताव रख सकती हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

NDTV Exclusive: ड्राफ्ट बिल की चर्चा 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में भी हो सकती है.

File Photo (Source: Twitter/nsitharaman)

केंद्रीय बजट 2025 में सरकार नए इनकम टैक्स बिल का प्रस्ताव रख सकती है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV Profit को बताया कि ड्राफ्ट बिल दशकों पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह आकार लेगा. हालांकि, सभी स्टेकहोल्डर्स के परामर्श के बाद इस विधेयक को इस साल के अंत में लागू किया जाएगा.

एक जानकार ने कहा, 'सरकार ड्राफ्ट बिल पर स्टेकहोल्डर्स की टिप्पणियां आमंत्रित कर सकती है और उन पर विचार करने के बाद फाइन​ल बिल में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं.' उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य डायरेक्ट टैक्स कानूनों की भाषा को सरल बनाना और इसे संक्षिप्त, सुस्पष्ट और टैक्सपेयर्स के अनुकूल बनाना है.

बजट भाषण में हो सकती है चर्चा

जानकारों ने NDTV Profit से कहा कि ड्राफ्ट बिल की चर्चा 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में भी हो सकती है. पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने डायरेक्ट टैक्स की व्यापक समीक्षा का वादा किया था.

इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा करने के लिए CBDT के नेतृत्व वाला आंतरिक पैनल, इस हफ्ते अपनी रिव्यू रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है. सूत्रों ने कहा कि कानून मंत्रालय भी रिपोर्ट की जांच करेगा. पैनल ने प्रत्यक्ष कर कानूनों की समीक्षा के लिए 22 उप-समितियों का गठन किया और 6500 से अधिक सुझाव प्राप्त किए हैं.

केंद्र सरकार ने 2010 से इनकम टैक्स एक्ट को फिर से लिखे जाने के कम से कम तीन प्रयास किए हैं. मोदी सरकार के पहले दो कार्यकालों के दौरान, एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था और यहां तक ​​कि एक डायरेक्ट टैक्स कोड भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई और सुझावों पर विचार नहीं किया गया.

नए इनकम टैक्स बिल की रूपरेखा

डायरेक्ट टैक्स की समीक्षा लगभग पूरी होने वाली है, ऐसे में ड्राफ्ट रिपोर्ट में सभी गैर-जरूरी धाराओं और प्रावधानों को खत्म करने का सुझाव दिया जा सकता है.

उदाहरण के लिए, टैक्स एसेसमेंट ईयर 2012-13 से पहले के कई प्रावधानों को अनावश्यक घोषित किया जा सकता है.

  • पैनल ने छूट और कटौती के क्षेत्र में कई ऐसे अनावश्यक प्रावधानों की पहचान की है और उन्हें समाप्त किया जा सकता है. इसके अलावा, टाइम-एक्सपायर्ड प्रोवीजंस को भी हटाया जाएगा.

  • हालांकि प्रस्तावित बदलाव, पिछले निवेशों से आए कुल आय के मूल्यांकन को प्रभावित नहीं कर सकते हैं, भले ही उन प्रावधानों के तहत कोई नया निवेश न किया जा सके.

सूत्रों ने बताया कि समीक्षा इस तरह से की जा रही है कि सभी अनावश्यक धाराएं समाप्त हो जाएं, लेकिन कुछ व्यापक अपवादों के साथ.

  • इनमें से एक धारा पिछले निवेशों से वर्तमान या आगामी वर्षों में होने वाली आय से संबंधित है.

  • वहीं, अन्य दो धाराएं मुकदमेबाजी, नोटिस और तलाशी से संबंधित हैं.

जानकार अधिकारियों के अनुसार, लंबित टैक्स निर्धारण कार्यवाही में कुल आय के निर्धारण पर प्रभाव डालने वाले किसी भी प्रावधान को समाप्त नहीं किया जाएगा.

  • ये माना जाएगा कि टैक्स निर्धारण वर्ष 2012-13 से संबंधित कार्यवाही अभी भी नियमित रूप से लंबित हो सकती है.

  • समीक्षा से छूट वाले अन्य प्रावधान वे होंगे जो टैक्स निर्धारण वर्ष 2014-15 या उसके बाद की कार्यवाही की शुरुआत पर प्रभाव डालते हैं.

ड्राफ्ट विधेयक में मौजूदा अधिनियम के बड़े अध्यायों में 50-60% की कटौती की जा सकती है. इसके अलावा, इसमें निवारण की प्रणालियों (Redressal Systems) में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.

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