भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डी सुब्बाराव ने दिल्ली की अदालत में चल रहे 2जी स्पैक्ट्रम घोटाला मामले में गवाही देते हुए कहा कि उन्होंने वर्ष 2007 में अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क को लगभग 1600 करोड़ रुपये रखने पर सवाल उठाया था।
वर्ष 2007 से सितंबर 2008 तक वित्तीय सचिव रहे सुब्बाराव इस मामले में एक मुख्य गवाह हैं। इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और अन्य लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
इस बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान सुब्बाराव ने अदालत को बताया कि उन्होंने 22 नवंबर 2007 को तत्कालीन दूरसंचार सचिव डीएस माथुर को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क को लगभग 1600 करोड़ रुपये रखने पर सवाल उठाया था।
उन्होंने कहा कि उन्होंने तब यह सवाल भी उठाया था कि वर्ष 2001 में तय किए गए स्पेक्ट्रम शुल्क 1600 करोड़ रुपयों की राशि को वर्ष 2007 पर भी कैसे लागू किया जा सकता है? सुब्बाराव ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी को बताया, मैंने यह सवाल भी उठाया कि बीते 2001 में तय किए गए 1600 करोड़ की दर को वर्ष 2007 में दिए जाने वाले लाइसेंसों पर लागू कैसे किया जा सकता हैं।
सीबीआई वकील एके सिंह ने भी सुब्बाराव के बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान विभिन्न संबंधित विभागों की कई फाइलें और नोट दिखाए। इनमें वह नोट भी शामिल था जो दूरसंचार और वित्त विभाग की ओर से सुब्बाराव को भेजा गया था। सुब्बाराव के बयान की रिकॉर्डिंग पूरे दिन चलने की संभावना है। बीते 11 नवंबर तक अदालत ने सीबीआई के कुल 77 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। इस मामले में ए.राजा मुख्य आरोपी हैं। राजा के अलावा द्रमुक सांसद कनिमोई, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनीटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के तीन उच्च कार्यकारी अधिकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, कैलेगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और बॉलीवुड निर्माता करीम मोरानी भी इस मामले में आरोपी हैं।
इन 14 आरोपी लोगों के अलावा स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनीटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड नामक तीन टेलीकॉम कंपनियां भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रही हैं। इन्हें सीबीआई द्वारा पिछले साल 2 अप्रैल और 25 अप्रैल को दाखिल पहले दो आरोप पत्रों में आरोपी दिखाया गया है।
अदालत ने 22 अक्तूबर 2011 को 17 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, झूठे दस्तावेज, आधिकारिक पद का दुरुपयोग, जनसेवक द्वारा आपराधिक व्यवहार और रिश्वत लेने जैसे अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप दर्ज किए हैं। इन अपराधों के लिए छह माह की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।