गौतम अडाणी के एक कदम के चलते दुविधा में पड़ गए थे मुकेश अंबानी, फिर लिया यह फैसला

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जून में एक विदेश की दिग्गज टेलीकम्युनिकेशंस कंपनी को खरीदने पर विचार कर रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि गौतम अडाणी भारत में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में बोली लगाने की योजना बना रहे हैं.

5G के साथ अडाणी-अंबानी के बीच हो सकता है बड़ा मुकाबला. (मुकेश अंबानी की फाइल फोटो)

अभी कुछ महीनों पहले गौतम अडाणी ने बिजनेस टाइकून मुकेश अंबानी से भारत के साथ-साथ एशिया के सबसे अमीर शख्स का ताज छीना है. गौतम अडाणी के अडाणी ग्रुप ने हाल ही सीमेंट के कारोबार में भी कदम रखा था. और तो और इसके बाद कंपनी ने पहली बार टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री मारने की घोषणा कर दी. कंपनी ने हाई-स्पीड 5G Spectrum की नीलामी में बोली लगाई है. ऐसे में अडाणी ग्रुप ने पिछले कुछ वक्त में काफी हलचलें पैदा की हैं. ऐसे में एक रिपोर्ट की मानें तो अडाणी की ओर से टेलीकॉम सेक्टर को लेकर की गई घोषणा के बाद रिलायंस इंडस्टी के सामने दुविधा खड़ी हो गई थी.

जून में अरबपति मुकेश अंबानी और उनके सहयोगी तब अचानक एक दुविधा में पड़ गए, जब वो इस पर चर्चा कर रहे थे कि डीलमेकिंग के लिए रिलायंस साम्राज्य का आगे कहां विस्तार करना चाहिए. 

Bloomberg ने अपनी एक रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वाले कुछ सूत्रों के हवाले से बताया है कि मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जून में विदेश की एक दिग्गज टेलीकम्युनिकेशन कंपनी को खरीदने पर विचार कर रही थी, तभी उन्हें पता चला कि गौतम अडाणी भारत में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में बोली लगाने की योजना बना रहे हैं. 

अंबानी कैंप हाई अलर्ट पर

दिलचस्प है कि अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड जहां देश में मोबाइल नेटवर्क बाजार की सबसे बड़ी हिस्सेदार है, वहीं अडाणी ग्रुप टेलीकॉम सेक्टर में अभी है भी नहीं. उनके पास वायरलेस टेलीकम्युनिकेशन सेवाएं देने के लिए लाइसेंस भी नहीं है. नाम ना जाहिर करने की शर्त पर मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि इस विचार ने भी कि अडाणी अपना नया लक्ष्य अंबानी की महत्वाकांक्षाओं के इतने करीब रख रहे हैं, अंबानी कैंप को हाई अलर्ट पर आने को मजबूर कर दिया.

यह भी पढ़ें: अडाणी ग्रुप 5G स्पेक्ट्रम पाने की रेस में शामिल होगा लेकिन टेलीकॉम सर्विस देने के लिए नहीं; बताई वजह

कुछ सहयोगियों ने अंबानी को सलाह दी कि उन्हें विदेशी बाजारों के लक्ष्य की ओर नजरें करनी चाहिए और भारतीय बाजारों के परे जाकर विस्तार करना चाहिए. वहीं, दूसरे सहयोगियों ने कहा कि उन्हें घरेलू मैदान पर पैदा होने वाली चुनौतियों के लिए फंड बचाकर रखना चाहिए.

फिर अंबानी ने लिया यह फैसला

सूत्रों ने बताया आखिरकार मुकेश अंबानी ने किसी विदेशी कंपनी में पैसे न लगाने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें लगा कि अगर अडाणी की ओर से उनके लिए कोई चुनौती पैदा होती है, तो उनके पास ऐसी स्थिति के लिए अपनी वित्तीय क्षमताएं तैयार होनी चाहिए. इस डर को आधारहीन या अतिशयोक्ति बताकर खारिज भी नहीं कर सकते क्योंकि Bloomberg Billionaires Index के डेटा की मानें तो अडाणी के नेटवर्थ में इस साल दुनियाभर में किसी भी दूसरी शख्सियत से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.

पिछले दो दशकों से देश के दो सबसे अमीर बिजनेस टाइकून अलग-अलग टर्फ पर खेलते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब वो किसी सेक्टर में एक साथ होंगे, साथ ही एक दूसरे के लिए चुनौतियां पैदा करने की स्थिति में होंगे.

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लेखक NDTV Profit Desk
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