भारतीय ऑटो कंपनियों ने FY25 में रिकॉर्ड कार एक्सपोर्ट किए, क्या इस साल ट्रंप टैरिफ छीन लेगा रुतबा?

सवाल ये है कि ऑटो इंडस्‍ट्री की यही ग्रोथ क्‍या 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष (FY26) में भी जारी रह पाएगी.

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कोविड के दौर से पहले देश की ऑटोमोबाइल इंडस्‍ट्री ने यात्री वाहनों के निर्यात (Passenger Vehicles Export) में रिकॉर्ड बनाया था. तब FY19 में ऑटो कंपनियों ने करीब 6.76 लाख यूनिट पैसेंजर व्‍हीकल एक्‍सपोर्ट किए थे. ये अब तक का रिकॉर्ड था, लेकिन 31 मार्च को समाप्‍त हुए वित्त वर्ष 2024-25 में ऑटो इंडस्‍ट्री ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया.

FY25 में ऑटो कंपनियों ने अनुमानित तौर पर 7.55 लाख से 7.65 लाख वाहन निर्यात किए हैं. ये पिछले वर्ष के 6.72 लाख की तुलना में 12-14% की ग्रोथ दिखाता है. ऑटो सेक्‍टर की प्रमुख कंपनियों मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki), ह्युंदई (Hyundai India) और महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) ने देश में बनी गाड़ियों को जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजारों में एक्‍सपोर्ट कर ये मुकाम हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई.

सवाल ये है कि ऑटो इंडस्‍ट्री की यही ग्रोथ क्‍या 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष (FY26) में भी जारी रह पाएगी. ये सवाल इसलिए भी क्‍योंकि अमेरिका ने ऑटो पर 25% टैरिफ की घोषणा कर दी है. अमेरिका भले ही भारतीय ऑटो एक्‍सपोर्ट में कम भागीदारी रखता है, लेकिन ऑटो कॉम्‍पोनेंट्स पर इसका बड़ा असर है. बहरहाल पहले एक्‍सपोर्ट के आंकड़ों पर एक नजर डाल लेते हैं.

मारुति और ह्युंदई की बदौलत बना रिकॉर्ड

मारुति ने FY25 में 3,32,585 गाड़ियों का निर्यात किया, जिससे ये लिस्‍ट में सबसे टॉप पर है. ये आंकड़ा पिछले वर्ष के 2,83,067 यूनिट्स की तुलना में 17.5% की ग्रोथ दिखाता है. कंपनी ने फ्रोंक्स, जिम्नी, बलेनो, स्विफ्ट और डिजायनर जैसे मॉडलों का निर्यात किया, जिनकी प्रमुख बाजारों में दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, चिली, जापान और मैक्सिको शामिल हैं. जापान में गाड़ियों का निर्यात बढ़ा है, जहां जिमी 5-Door और Fronx जैसे मॉडल की अच्‍छी मांग है.

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दूसरी ओर, कोरियाई कंपनी ह्युंदई ने FY25 में 1.63 लाख कारों का निर्यात किया. कंपनी के लिए सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, चिली और पेरू प्रमुख निर्यात बाजार रहे हैं. दक्षिण कोरिया के बाहर, ह्युंदई के लिए भारत, सबसे बड़ा निर्यात केंद्र है.

घरेलू मैन्‍युफैक्‍चरर कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स का योगदान अपेक्षाकृत कम रहा. महिंद्रा ने कुल निर्यात का 1.9% और टाटा मोटर्स ने मात्र 0.3% हिस्सेदारी दर्ज की. वहीं, निसान (9%), होंडा कार्स इंडिया (8%) और फॉक्सवैगन (6%) जैसे ब्रैंड भी वाहनों का निर्यात कर रहे हैं.

ट्रंप टैरिफ का कितना असर?

भारत समेत दुनिया के कई देश अमेरिका के टैरिफ वॉर को लेकर सचेत हो रहे हैं. ऑटो इंडस्‍ट्री की बात करें तो ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा है कि टैरिफ न केवल पूरी तरह से असेंबल की गई कारों पर लागू होगा, बल्कि प्रमुख ऑटोमोबाइल पार्ट्स, जैसे इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन पार्ट्स और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स पर भी लागू होगा.

NDTV Profit ने एक रिपोर्ट में बता चुका है कि रेसीप्रोकल टैरिफ का भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर ज्यादा असर होने की संभावना नहीं है. हालांकि ऑटो कंपोनेंट्स इंडस्‍ट्री पर इसका ज्‍यादा असर हो सकता है.

मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, सबसे अधिक असुरक्षित सेक्टर सीफूड, आयरन एंड स्टील, नियुक्लर रिएक्टर्स, फार्मा प्रोडक्ट्स, गेम्स एंड ज्वेलरी और इलेक्ट्रिकल मशीनरी हैं. ये सेक्टर अमेरिका को भारत के कुल निर्यात का 52% हिस्सा हैं.

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एक्सपोर्ट बढ़ाने की योजना

केंद्र ने 2030 तक ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट को कुल उत्पादन का 25% करने का लक्ष्य रखा है, जो FY23 में 14% था. इसमें लीडिंग कंपनियों का अहम रोल हो सकता है और इसके लिए कंपनियां तैयार भी हैं.

मारुति सुजुकी 2030 तक उत्पादन क्षमता को 40 लाख यूनिट/वर्ष करने के लिए 45,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है. इसमें 30 लाख यूनिट घरेलू बाजार के लिए और 7.5-8 लाख यूनिट एक्सपोर्ट के लिए होंगे. वहीं, ह्युंदई, टालेगांव में दूसरा प्लांट शुरू करने के बाद अपनी एक्‍सपोर्ट कैपिसिटी को और बढ़ाएगी.

ऑटो सेक्‍टर में भारत की तुलना में चीन की ग्रोथ काफी ज्‍यादा है, लेकिन भारत भी ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है.एक्‍सपोर्ट के बढ़ते आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि भारत जल्द ही एक वैश्विक ऑटोमोबाइल उत्पादन केंद्र बन सकता है.

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