मारुति में इंवेंट्री की समस्या सुधारी; बोले चेयरमैन आर सी भार्गव, 'उतनी कारें बनाएंगे, जितनी डीलर बेच सके'

हमें उम्मीद है कि नवंबर के अंत तक इन्वेंट्री का स्तर 30 दिनों तक पहुंच जाएगा. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी मॉडल 30-दिन की इन्वेंट्री पर हों: भार्गव

Source: NDTV Profit

घरेलू बिक्री में गिरावट के बाद अब मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki India Ltd.) ने अपने इंवेंट्री स्तरों में सुधार करना शुरू कर दिया है. देश की सबसे बड़ी ऑटोमेकर के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा है कि वो इंवेंट्री लेवल को 30 दिन करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

इंवेंट्री लेवल को 30 दिन लेकर आएंगे: भार्गव

NDTV Profit के साथ एक खास बातचीत में चेयरमैन भार्गव ने कहा 'हमने अपने इन्वेंट्री स्तर को सुधार लिया है, हमें उम्मीद है कि नवंबर के अंत तक इन्वेंट्री का स्तर 30 दिनों तक पहुंच जाएगा. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी मॉडल 30-दिन की इन्वेंट्री पर हों'

भार्गव के इस बयान को ऐसे देखना चाहिए कि भविष्य में मारुति की प्रोडक्शन प्लान में बदलाव देखने को मिल सकता है. भार्गव ने कहा कि कंपनी केवल उतनी ही गाड़ियों का उत्पादन करेगी जितनी डीलर बेच सके और डिमांड पर नजर रखने के लिए रिटेल बिक्री के डेटा को करीब से देखेगी.

रिटेल बिक्री के डेटा पर फोकस करेंगे: भार्गव

उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी के लिए प्रमोशन कॉस्ट दूसरी तिमाही में बढ़ गई, जिससे ऑपरेशनल मार्जिन पर असर पड़ा है, इसे एनालिस्ट्स ने आय में कमी की वजह के रूप में देखा है. भार्गव ने कहा कि हम थोक आकड़ों के बजाय केवल रिटेल बिक्री के डेटा पर ही अपना फोकस रखेंगे, जो आपको बाजार की स्थिति बताती है. इससे बेहतर तरीके से लागत को कम किया जा सकेगा.

भार्गव ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के ट्रेंड से पता चलता है कि लोकप्रिय हैचबैक वैगनआर जैसे कुछ मॉडल अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, भले ही एक वर्ग के रूप में छोटी कारों को थोड़ा संघर्ष करना पड़ा है. बाजार में बदलावों से निपटने के लिए एक तरह की फुर्ती होनी चाहिए.

गाड़ियां के लिए किफायती होना बड़ा फैक्टर

आर सी भार्गव ने कहा कि कारों की अफोर्डेबिलिटी का फैक्टर अब भी इंडस्ट्री पर भारी पड़ रहा है, अगर लाखों भारतीय 2-व्हीलर से कारों की तरफ शिफ्ट नहीं हुए तो ये ग्रोथ के रास्ते में एक बड़ी बाधा पैदा करेगा.

मारुति चेयरमैन ने कहा 'हम उम्मीद कर रहे थे कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, अफोर्डेबिलिटी का फैक्टर धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा. कारों के लिए अफोर्डेबिलिटी फैक्टर दूर होने में अब ज्यादा वक्त लग सकता है. BS6 के बाद अतिरिक्त लागत का असर छोटी गाड़ियों पर बहुत ज्यादा है'. उन्होंने कहा कि अगर इकोनॉमी सालाना 6-8% के बीच बढ़ती है, तो ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रोथ 10% होनी चाहिए. अफोर्डेबिलिटी की वजह से भारत में ऐसा नहीं हो पा रहा है.'