केंद्र सरकार की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी से भारत के घरेलू बाजार में $2.1 बिलियन का एक नया मार्केट बनेगा. ये ऑटोमोबाइल मार्केट दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इकोसिस्टम वाला मार्केट होगा.
मुंबई स्थित ऑटोमोटिव रिसर्च फर्म जाटो डायनेमिक्स (Jato Dynamics) के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर रवि भाटिया (Ravi Bhatia) ने NDTV Profit से बातचीत में कहा, 'नई EV पॉलिसी से ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के लोकलाइजेशन टर्म्स को बढ़ावा मिलेगा. लोकलाइजेशन से वॉल्यूम में भी बढ़ोतरी होगी'.
15 मार्च को केंद्र की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक, ग्लोबल इलेक्ट्रिक कारमेकर्स भारत में लोकल सेटअप मैन्युफैक्चरिंग पर $500 मिलियन यानी 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे, जिससे अगले 5 साल के लिए उन्हें इलेक्ट्रिक कार के इंपोर्ट में 15% की कस्टम ड्यूटी लगेगी. पहले कस्टम ड्यूटी 70-100% की हुआ करती थी.
काम शुरू करने के 3 साल के अंदर कंपनी को 25% लोकलाइजेशन और 5 साल के अंदर 50% लोकलाइजेशन पूरा करना होगा.
भाटिया ने कहा, 'टेस्ला, Byd और विनफास्ट के जैसे 24,000 इलेक्ट्रिक कारें मार्केट में आ जाएगी'. उन्होंने कहा, 'लग्जरी कारमेकर्स के कंट्रिब्यूशन से सालाना आधार पर 40,000 इलेक्ट्रिक कार बाजार में आ जाएंगी. इन कार की कीमत $35,000 से कम होगी'.
शुरुआती कारें पूरी तरह से बिल्ट-अप यूनिट (built-up units, CBU) होंगी. इसके बाद कंपनियां सालाना आधार पर 10% लोकलाइजेशन लागू करेंगी. इस तरह से कारें सेमी नॉक्ड डाउन (Semi knocked-down, SKD) से कंप्लीटली नॉक्ड डाउन (Completely knocked-down, CKD) पर शिफ्ट करेंगी.
$35,000 की कीमत वाली 40,000 कार के 50% लोकलाइजेशन से घरेलू मार्केट को $700 मिलियन का फायदा होने का अनुमान है, भाटिया ने कहा. अगले 5 साल में इससे $2.1 बिलियन का घरेलू मार्केट होने का अनुमान है. इसमें सालाना आधार पर 10% का लोकलाइजेशन शामिल है.
भाटिया ने NDTV Profit से बातचीत में कहा, '25% का लोकलाइजेशन अपने आप में कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन अगले 5 साल में इसे 50% तक ले जाना एक बड़ी चुनौती होगी'.
जिन कंपनियों को सबसे पहले लोकलाइज किया जाएगा, उनमें जीवाश्म ईंधन वाली कारें- कार सीट, ग्लास पैनल, इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी चीजें शामिल हैं. सेमीकंडक्टर्स और बैटरी पैक को इसके बाद लोकलाइजेशन में शामिल किया जाएगा, जिसमें चीनी इंपोर्ट से दूर होने के साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECUs) और कुछ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल होंगे.
सबसे आखिर में इलेक्ट्रिक पावरट्रेन और मोटर्स का लोकलाइजेशन होगा.
सभी के लिए फायदा
S&P ग्लोबल मोबिलिटी के प्रिंसिपल एनालिस्ट गौरव वंगाल (Gaurav Vangaal) के मुताबिक, पांचवें साल में 50% लोकलाइजेशन से भारत की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री कुल $70 बिलियन की हो जाएगी.
वंगाल ने कहा, 'भारत में पहले से ही ऑटो सप्लायर इकोसिस्टम में अच्छी पकड़ है और ग्लोबल कारमेकर्स के आने के बाद इसमें और बढ़त ही होगी'. उन्होंने कहा, 'वो बेहतर EV टेक्नोलॉजी के लिए नई पार्टनरशिप कर सकते हैं और अपने पार्टनर्स के साथ एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर काम कर सकते हैं'.
सरकारी अधिकारियों की मानें तो ऑटो पार्ट्स बनाने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इस फैसले से खुश नजर आती हैं.
NDTV Profit को एक अधिकारी ने बताया, नई पॉलिसी से मार्केट फैलेगा, कई तरह के EV मार्केट में आएंगे और ऑटो पार्ट्स का एक बड़ा मार्केट तैयार होगा. उन्होंने कहा, ऑटो पार्ट्स वाली कंपनियों के मन में कोई चिंता नहीं है, वहीं स्थापित कंपनियां की चिंता में सुधार पर भी काम किया जा रहा है.
एनालिस्ट्स के मुताबिक, पहली नजर में नई EV पॉलिसी से सबसे ज्यादा फायदे में नजर आ रहा है, वो ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां हैं.