HDFC बैंक अगली कुछ तिमाहियों में 60,000-70,000 करोड़ के एसेट्स बेचने की योजना बना रहा है. दरअसल बैंक अपनी पेरेंट कंपनी HDFC के साथ मर्जर के बाद से ही लिक्विडिटी की समस्या से जूझ रहा है और लगातार अपनी लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
NDTV को सूत्रों के हवाले से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक बैंक की योजना मार्गेज और कार लोन एसेट्स को बेचने की है. बैंक इसके लिए 'पास थ्रू सर्टिफिकेट' जारी कर सकता है. इससे लिक्विडिटी बढ़ेगी, साथ ही क्रेडिट-डिपॉजिट रेश्यो भी कम होगा.
बिक्री के बाद एसेट्स के मालिक नए खरीदार होंगे, बैंक सिर्फ उन्हें मैनेज करेगा. एसेट्स के खरीदार को पहले से मिल रहे ब्याज के ऊपर 40-50 BPS यानी करीब आधा परसेंट का फायदा मिल सकता है.
बता दें HDFC बैंक पहले ही 9,000 करोड़ रुपये जुटाने की कवायद इस महीने पूरी करने की कोशिश कर रहा है. बैंक इसके लिए पास थ्रू सर्टिफिकेट्स से एसेट्स बेच रहा है.
'पास थ्रू सर्टिफिकेट' एक तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं, जो कई एसेट्स को मिलाकर बनते हैं. इसके मालिक को इन एसेट्स पर मूलधन के साथ ब्याज मिलता है. इन्हें मुख्यत: बैंक और एसेट मैनेजमेंट कंपनियां जारी करती हैं.
क्या हैं फंड जुटाने की वजह?
बता दें इन दिनों ज्यादातर बैंक डिपॉजिट की कमी से जूझ रहे हैं. RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने भी बैंकों को डिपॉजिट जुटाने के लिए इनोवेटिव आइडियाज पर काम करने की सलाह दी है. उन्होंने इसके लिए इंफ्रा बॉन्ड्स का उदाहरण पेश किया और बताया कि बैंक ऐसा कुछ करके लिक्विडिटी की समस्या से निपट सकते हैं.
लिक्विडिटी की समस्या से तो सभी जूझ रहे हैं, लेकिन HDFC बैंक के मामले में स्थिति थोड़ी और गंभीर है. HDFC बैंक का जुलाई 2023 में अपनी पेरेंट कंपनी HDFC के साथ मर्जर हो गया था. इससे बैंक के पोर्टफोलियो में गिरवी रखकर उठाए गए कर्ज का एक बड़ा बिजनेस जुड़ गया, लेकिन इस क्रम में डिपॉजिट की मात्रा बहुत कम हो गई.
अब बैंक के पास दो विकल्प हैं या तो वो डिपॉजिट तेजी से बढ़ाए या लोन ग्रोथ की रफ्तार को कुछ धीमा करे. ऐसे में बैंक अपने कुछ एसेट्स को बेचकर लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ताकि लोन देने की रफ्तार बनी रहे.