नॉन-बैंक लेंडर IIFL फाइनेंस (IIFL Finance) को रेटिंग डाउनग्रेड का सामना करना पड़ सकता है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि कंपनी के गोल्ड लोन बिजनेस पर RBI प्रतिबंधों को हटाने में देरी के चलते कंपनी की रेटिंग घटाई जा सकती है. मार्च 2026 तक, क्रिसिल ने AA रेटिंग रखी है, जिसे डाउनग्रेड करके AA- पर लाया जा सकता है.
RBI ने क्यों लगाया था प्रतिबंध?
मामले के बारे में जानकारी रखने वालों ने कहा कि कुछ दिन पहले रेटिंग की समीक्षा की गई थी. रेटिंग में डाउनग्रेड से नॉन-बैंकिंग कंपनियों पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कर्ज की लागत ऐसी रेटिंग से जुड़ी है.
4 मार्च को बैंकिंग रेगुलेटर ने IIFL फाइनेंस पर गोल्ड के बदले कर्ज देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. उसे कंप्लायंस से जुड़ी दिक्कतें मिली थीं.
RBI को जो दिक्कतें मिलीं उनमें गोल्ड की शुद्धता और नेट वेट को सर्टिफाई करने में गंभीर चूक, लोन टू वैल्यू रेश्यो में उल्लंघन, लोन की राशि का बड़ा वितरण और कलेक्शन जो स्टैचुअरी लिमिट से ज्यादा है.
कंपनी ने दी थी कंप्लायंस रिपोर्ट
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि IIFL फाइनेंस ने RBI की ओर से अपने सुपरवाइजरी रिव्यू में बताए गए मुद्दों का समाधान किया है और पिछले महीने एक कंप्लायंस रिपोर्ट जमा की. हालांकि अभी उसे रेगुलेटर से जवाब नहीं मिला है.
5 अगस्त तक IIFL फाइनेंस का गोल्ड लोन पोर्टफोलियो घटकर 12,162 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. 31 मार्च को ये 26,000 करोड़ रुपये से ज्यादा था. ज्यादा रन-ऑफ फैक्टर और नए कारोबार की कमी की वजह से गोल्ड लोन सेगमेंट कंपनी के ओवरऑल बिजनेस से पूरी तरह हट सकता है.
कंपनी के बिजनेस पर असर
30 जून तक IIFL फाइनेंस का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) 69,610 करोड़ था. इससे पहले 31 मार्च को ये 78,960 करोड़ रुपये था. गोल्ड लोन की कमी से IIFL फाइनेंस के यील्ड ऑन एडवांसेज और लोन बुक की ओवरऑल क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है.
पहली तिमाही के आखिर में IIFL फाइनेंस का गोल्ड लोन एडवांसेज पर 19.6% यील्ड रही. कंपनी का एडवांसेज पर कम्युलेटिव यील्ड 16.9% थी. इसके अलावा कंपनी को गोल्ड लोन बिजनेस में काम करने वाले कर्मचारियों की भी छंटनी करनी होगी. मौजूदा समय में उसकी 2,775 शाखाओं में कंपनी के चार या पांच गोल्ड लोन से जुड़े कर्मचारी हैं.