UPI की लगी ऐसी आदत कि 74% लोगों के बढ़ गए खर्चे, रिसर्च स्‍टडी ने चौंकाया! क्‍या आपके साथ भी ऐसा है?

IIIT, Delhi की रिसर्च स्‍टडी के अनुसार, UPI का इस्‍तेमाल ज्‍यादातर लोगों के लिए खर्च बढ़ाने वाला साबित हुआ है. वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है, जो UPI के जरिए बचत भी कर पा रहा है.

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UPI Effect on Spending Behavior: 10 रुपये की चाय पीनी हो या फिर हजारों रुपये की शॉपिंग करनी हो, हम में से बहुत सारे लोग किसी UPI ऐप से पेमेंट करने के आ‍दी हैं. गूगलपे (Google Pay), पेटीएम (PAYtm), फोनपे (PhonePe) और अन्‍य UPI ऐप्‍स की आदत इस कदर हावी हो चुकी है कि बहुत से लोग जेब में कैश तक नहीं रखते.

NPCI यानी नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 4 साल में UPI मंथली ट्रांजैक्‍शन का आंकड़ा करीब 10 गुना बढ़ गया है.

UPI पेमेंट सिस्‍टम के आने से लोगों के खर्च करने का पैटर्न तो बदला ही है, लोगों का खर्च भी बढ़ा है.

इंद्रप्रस्‍थ इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी (IIIT, Delhi) की एक रिसर्च स्‍टडी की मानें तो UPI का इस्‍तेमाल ज्‍यादातर लोगों के लिए खर्च बढ़ाने वाला साबित हुआ है.

वहीं दूसरी ओर छोटा ही सही लेकिन एक तबका ऐसा भी है, जो UPI के जरिए बचत भी कर पा रहा है. इस स्‍टडी में UPI के इस्‍तेमाल से जुड़े और भी कई दिलचस्‍प नतीजे सामने आए हैं.

दुनियाभर में UPI का डंका

सर्वे के नतीजों से पहले ये जान लेना भी दिलचस्‍प है कि नोटबंदी वाले साल 2016 में लॉन्‍च किए गए पेमेंट सिस्‍टम UPI किस रफ्तार से आगे बढ़ी है. इसके लिए हमने NPCI के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई. सामने आया कि जुलाई 2016 तक महज 21 बैंक/संस्‍थाएं UPI सेवा दे रहे थे, जबकि अब 572 बैंक और फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूशन UPI सेवाएं दे रहे हैं.

NPCI के अनुसार, मंथली ट्रांजैक्‍शन का आंकड़ा जुलाई 2016 के 38 लाख से बढ़ कर मार्च 2024 में 19.78 लाख करोड़ हो गया है. मार्च 2020 में UPI मंथली ट्रांजैक्‍शन 2.06 लाख करोड़ रुपये था. यानी UPI ने 2020 (कोविड) के बाद जबरदस्‍त रफ्तार पकड़ी और तब से अब तक ये करीब 10 गुना बढ़ गया है. अब तो दुनिया के कई देशों में भारत का UPI वैलिड है.

10 में से 8 लोग हर दिन यूज करते हैं UPI

अब बात करते हैं, IIIT दिल्‍ली की रिसर्च स्‍टडी की. सर्वे में शामिल लोगों से UPI पेमेंट ऐप के इस्‍तेमाल को लेकर सवाल पूछा गया तो 10 में से 8 लोगों ने हर दिन इस्‍तेमाल की बात कही. 15.6% लोग ऐसे थे, जो वीकली और 1.1% मंथली UPI का इस्‍तेमाल करते हैं. महज 0.3% लोग ऐसे भी थे, जो कभी-कभार(Rarely) ही UPI पेमेंट किया करते हैं.

UPI ने बदल दिया खर्च का पैटर्न

सर्वे में शामिल 46% लोगों ने माना कि UPI का असर उनके मासिक खर्च पर पड़ा है. इनमें से आधे लोग बजट पर UPI के असर की बात से मजबूती से सहमति रखते हैं. वहीं 26% लोग ऐसे भी हैं, जो इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते.

IIIT, दिल्‍ली के दो स्‍टूडेंट्स हर्षल देव और राज गुप्‍ता ने असिस्टेंट प्रोफेसर ध्रुव कुमार के गाइडेंस में सर्वे स्‍टडी की है. इसमें विभिन्न आयु वर्ग और सोशल बैक्‍ग्राउंड के 276 व्‍यस्‍क लोगों को शामिल किया था.

UPI ने बढ़ाया बजट, होने लगा ज्‍यादा खर्च

74.2% लोग मानते हैं कि UPI के च‍लते उनका खर्च पहले की अपेक्षा बढ़ा है, जबकि केवल 7% ने कहा कि इससे खर्च में कमी आई है. सर्वे में शामिल 59.8% लोगों ने UPI पेमेंट के चलते अत्‍यधिक खर्च होने का अनुभव किया है. इससे उलट 39.8% लोगों का मानना है कि उन्‍होंने ऐसी स्थितियों से परहेज किया.

खुद हुआ अनुभव, फिर रिसर्च की

शोधकर्ताओं हर्षल देव और राज गुप्‍ता ने NDTV Profit हिंदी से बातचीत में कहा कि उन्‍हें ऐसा महसूस हुआ कि UPI ऐप के इस्‍तेमाल के चलते उनका बजट बिगड़ रहा है. वे पहले की अपेक्षा ज्‍यादा खर्च कर रहे हैं. मन में सवाल कौंधा, ये केवल उनके साथ ही हो रहा या और लोगों के भी साथ? इसी सोच के साथ उन्‍होंने रिसर्च रिव्‍यू कमिटी के पास प्रस्‍ताव रखा और अनुमति मिलने के बाद शोध किया.

कोई चार्ज नहीं,नहीं, UPI से संतुष्‍ट हैं लोग

सर्वे में शामिल 91.5% लोगों ने संकेत दिया कि UPI को लेकर वे अपने ओवरऑल एक्‍सपीरिएंस से संतुष्‍ट हैं. करीब 95.2% लोग इसे सुविधाजनक मानते हैं. डेबिट, क्रेडिट कार्ड की तुलना में ये इसलिए भी सुविधाजनक है, क्‍योंकि इस पर कोई चार्ज या ब्‍याज नहीं लगता.

500 की हरी-हरी पत्ती का माेह!

हर्षल कहते हैं, 'आप अगर 5,000 रुपये की शॉपिंग करें तो UPI से पेमेंट करने में ज्‍यादा बुरा नहीं लगता. अमाउंट भरते हैं, पिन डालते हैं और खटाक से पेमेंट कर देते हैं. वहीं, जब आपको पर्स से पैसे निकाल कर देने हों तो 500 रुपये के 10 नोट गिन कर देते वक्‍त एक बार जरूर फील होता है कि अरे, इतने पैसे खर्च हो रहे हैं.' कैश यानी नकदी खर्च को लेकर ह्यूमन साइकोलॉजी ऐसी ही है.

अधिक खर्च करने की आदत कैसे कंट्रोल हो?

डिजिटल पेमेंट सिस्‍टम ने लोगों के फाइनेंशियल मैनेजमेंट को एक दिशा तो दी है, लेकिन कई बार लोग अधिक खर्च कर डालते हैं और बाद में अफसोस भी करते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि UPI ऐप्‍स में ही खर्चों का हिसाब रखने की सुविधा हो तो एक्‍सेस खर्चों पर लगाम लगाई जा सकती है.

हालांकि एक्‍सपेंसेस ट्रैकर के नाम पर अलग से कई सारे ऐप एवलेबल हैं, लेकिन डेटा और प्राइवेसी एक अहम मसला है. ऐसे में UPI ऐप्‍स में सर्विस इनक्‍लूड हो तो मदद मिल सकती है. लोगों ने ये भी इच्‍छा जताई कि इसके लिए फाइनेंशियल एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाए.

ये है पूरी रिसर्च स्‍टडी

'कैश से कैशलेस तक: इंडियन यूजर्स के एक्‍सपेंसेस बिहेवियर पर UPI इफेक्‍ट' टाइटल से IIIT, दिल्‍ली की इस रिसर्च को 11 से 16 मई तक अमेरिका के हवाई कन्‍वेंशन सेंटर में होने वाले प्रतिष्ठित ग्‍लोबल कॉन्‍फ्रेंस CHI 2024 के लिए चुना गया है.

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