गोल्ड लोन पर RBI का एक्शन NBFCs के लिए निकट भविष्य में अस्थिरता बढ़ा सकता है: फिच

फिच ने कहा, 'सोने के बदले नगद कर्ज लेने पर RBI ने जो लिमिट तय की है, उससे कुछ नॉन बैंकिंग कंपनियों को बैंक अकाउंट से कर्ज देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इससे नए कर्ज मिलने की दर धीमी हो सकती है.'

Source:Reuters/Canva

RBI लॉन्ग टर्म जोखिमों को कम करने के लिए लैंडर्स पर कॉरपोरेट गवर्नेंस और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए लगातार दबाव बना रहा है. लेकिन रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स का मानना है कि RBI के इन कदमों से लैंडर्स के बिजनेसेज की निकट भविष्य में अस्थिरता बढ़ेगी.

फिच ने कहा, 'सोने के बदले नगद कर्ज लेने पर RBI ने जो लिमिट तय की है, उससे कुछ नॉन बैंकिंग कंपनियों को बैंक अकाउंट से कर्ज देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इससे नए कर्ज मिलने की दर धीमी हो सकती है.'

रेटिंग एजेंसी ने कहा, 'कुछ कर्ज लेने वाले जो अब भी नगद कर्ज लेने को प्राथमिकता देते हैं, वे अनौपचारिक क्षेत्र जैसे उपलब्ध विकल्पों की तरफ मुड़ सकते हैं.'

फिच का मानना है कि मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी गोल्ड फोकस्ड NBFCs के ग्राहक अगर बैंक ट्रांजैक्शंस की तरफ रुख करते भी हैं, तो भी फिलहाल इनकी क्रेडिट प्रोफाइल की स्थिति मजबूत बनी रहेगी. लेकिन RBI ने इन कंपनियों को जो नई गाइडलाइन जारी की है, उससे इनके लिए नए खतरे पैदा हो गए हैं.

RBI ने IIFL फाइनेंस लिमिटेड की गोल्ड पर आधारित एक नई लेंडिंग और 'ऑफ बैलेंस शीट फंडिंग ट्रांजैक्शन' को मार्च में रोक दिया.

एजेंसी ने कहा, 'फाइनेंशियल सेक्टर में जरूरी नहीं है कि नियमों की हमेशा व्याख्या की जाए और इनको सख्ती से लागू करने के स्तर में भी अंतर होता है. लेकिन इस माहौल में वित्तीय निगरानी ज्यादा कठिन हो जाती है और इसमें नियमों और सरकार द्वारा गलतियां होने की संभावना बढ़ जाती है.'

बता दें FY19 में कुछ NBFCs की असफताओं के बाद इन कंपनियों ने अपनी शॉर्ट टर्म फंडिंग में कटौती की थी.

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, 'लेकिन जब आर्थिक स्थितियां ठीक होनी शुरू हुईं, तो जोखिम उठाकर फायदा कमाने की प्रवृत्ति तेज होने लगी.'

RBI के डेप्यूटी गवर्नर स्वामिनाथन जे ने बुधवार को कुछ NBFCs के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बढ़ते वित्तीय क्षेत्र के बीच कंपनियों से ज्यादा बेहतर गवर्नेंस और एश्योरेंस फंक्शंस अपनाने की अपील की.

उन्होंने कहा, 'फाइनेंशियल एंटिटीज जिस तरह के बेहद तेजी से बदलते और चुनौती भरे माहौल में काम करती हैं, वहां उनके लिए कई तरह के जोखिम मौजूद होते हैं, जो उनकी वित्तीय और ऑपरेशनल मजबूती को प्रभावित कर सकते हैं.'