बीते कुछ सालों में बैंकों का जोखिम प्रबंधन बेहतर हुआ है. लेकिन 3 बैंक अब भी अहम पैमानों पर कमतर नजर आ रहे हैं. RBI की छमाही की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. दरअसल इस रिपोर्ट में KRI फ्रेमवर्क के एनालिसिस को आधार बनाया गया है.
बेहतर हुआ है जोखिम प्रबंधन
इस दशक की शुरुआत में 'की रिस्क इंडिकेटर्स 'key risk indicators' (KRI) फ्रेमवर्क' के तहत 33 पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर बैंकों का एनालिसिस किया गया था, जिसमें से तीन चौथाई बैंक, 3 या 4 KRIs पर कमजोर पाए गए थे.
RBI रिपोर्ट में कहता है, 'लेकिन सितंबर 2024 में किए गए एनालिसिस में सिर्फ 3 बैंक (जो कुल बैंकिंग सिस्टम के एसेट्स में 15% हिस्सेदारी रखते हैं) ही 3 KRIs में कमतर पाए गए. ऐसा कोई भी बैंक नहीं था, जो 3 से ज्यादा KRIs में कमतर रहा हो.'
क्या है KRI फ्रेमवर्क?
IMF द्वारा बनाया गया KRI फ्रेमवर्क बैंकों के जोखिम को मापता है, इसमें CAMELS सुपरवाइजरी फ्रेमवर्क को मार्केट बेस्ड मीट्रिक्स के साथ जोड़ा गया है.
फ्रेमवर्क में मुख्यत: 5 इंडिकेटर्स की मॉनिटरिंग की जाती है. इसमें पूंजी की उपलब्धता, एसेट क्वालिटी, अर्निंग्स, लिक्विडिटी और मार्केट मीट्रिक्स शामिल हैं.
RBI के मुताबिक बैंकों के मुनाफे में वृद्धि और इसके चलते इक्विटी कैपिटल में इजाफा एडीशनल फंडिंग का सोर्स बना है. इससे लोन-डिपॉजिट रेश्यो में इजाफे में भी मदद मिली है.