बड़े पैमाने पर ट्रेनी कर्मियों की छंटनी को लेकर आलोचना झेल रही दिग्गज IT कंपनी इन्फोसिस ने पूरे मामले में सफाई दी है. समाचार एजेंसी PTI के साथ एक इंटरव्यू में इन्फोसिस के चीफ HR ऑफिसर शाजी मैथ्यू ने कंपनी के ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए जवाब दिया है.
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षुओं को नौकरी से निकालने को लेकर बल का प्रयोग या डराने-धमकाने की बात सरासर गलत है. कंपनी ने श्रम विभाग के अधिकारियों को परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी है और उनके साथ जांच में पूरा सहयोग कर रही है.
इन्फोसिस ने हाल ही में 300 से ज्यादा प्रशिक्षुओं (ट्रेनिंग पर रखे गए कर्मियों) को बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिससे कंपनी विवादों में आ गई है. इस मामले में कर्मचारी संघ की शिकायत के बाद केंद्र ने कर्नाटक श्रम विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया है.
इन्फोसिस ने दी सफाई
मैसुरु कैंपस में ट्रेनिंग ले रहे 300 से ज्यादा प्रशिक्षुओं को नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि वे आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा (Internal Assessment Exam) में पास नहीं हो सके. इन्फोसिस के मुताबिक, इन प्रशिक्षुओं को पहले ही तीन मौके दिए गए थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए.
मामले को बिंदुवार समझने की कोशिश करते हैं.
1. क्या जबरन इस्तीफे लिए गए?
कर्मचारियों के संगठन NITES (Nascent Information Technology Employees Senate) ने आरोप लगाया कि इन्फोसिस ने डराने-धमकाने और जबरदस्ती इस्तीफा लेने की रणनीति अपनाई. कहा गया कि कर्मचारियों को मीटिंग रूम में बुलाया गया और कंपनी से अलग होने के पत्रों पर हस्ताक्षर करने को कहा गया. इतना ही नहीं, बाउंसर बुलाने तक की बात सामने आई.
2. कंपनी ने इस मामले में क्या कहा?
इन्फोसिस के CHRO शाजी मैथ्यू ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया; उनका कहना है कि
बाउंसर बुलाने का आरोप पूरी तरह झूठा है.
हम ट्रेनिंग में पैसा खर्च करते हैं, किसी को निकालना हमारे हित में नहीं.
हमने प्रशिक्षुओं को कई मौके दिए, लेकिन वे पास नहीं हो सके.
उन्होंने ये भी कहा, 'हम अपने प्रशिक्षुओं को सफल होते देखना चाहते हैं. हमने आंतरिक मूल्यांकन को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया ताकि वे बेहतर तैयारी कर सकें.'
3. क्या आगे की भर्ती पर असर पड़ेगा?
छंटनी के बावजूद, इन्फोसिस का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में 20,000 नए स्नातकों (फ्रेशर्स) की भर्ती का प्लान पटरी पर है. यानी, नए छात्रों के लिए मौके बने रहेंगे.
4. क्या सरकार ने संज्ञान लिया?
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस मामले में दखल दिया है और कर्नाटक श्रम विभाग को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. श्रम विभाग अब इन्फोसिस के संपर्क में है और पूरी ट्रेनिंग प्रक्रिया की जांच कर रहा है.
5. अब आगे क्या होना है?
इन्फोसिस ने साफ कर दिया कि निकाले गए प्रशिक्षुओं को वापस लेने का कोई प्लान नहीं है. हालांकि, जिन 800 प्रशिक्षुओं की परीक्षा होनी थी, उन्हें एक हफ्ते की मोहलत दी गई है ताकि वे बेहतर तैयारी कर सकें.
इस विवाद के बाद इन्फोसिस की छवि पर असर जरूर पड़ा है, लेकिन कंपनी ने सफाई देकर मामला शांत करने की कोशिश की है. श्रम विभाग की जांच और कंपनी की फ्यूचर स्ट्रैटजी पर सबकी नजर है.