बिमल जालान समिति ने की हर 5 साल में आर्थिक पूंजी नियम की समीक्षा करने की सिफारिश

रिजर्व बैंक की बिमल जालान समिति ने संशोधित आर्थिक पूंजी नियम की हर पांच साल में समीक्षा करने की सिफारिश की है.

समिति ने 14 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.

रिजर्व बैंक की बिमल जालान समिति ने संशोधित आर्थिक पूंजी नियम की हर पांच साल में समीक्षा करने की सिफारिश की है. इसी नियम के तहत आरबीआई ने 52637 करोड़ रुपये का अधिशेष सरकार को स्थानांतरित करने का फैसला किया है. केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को समिति की रिपोर्ट जारी की. इसमें सिफारिश की गयी है कि आरबीआई वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेखा वर्ष (जुलाई-जून) को वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) के साथ समायोजित कर सकता है. 

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आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने सोमवार को जालान के नेतृत्व वाली समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. जालान रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर हैं. आरबीआई के मौजूदा ईसीएफ की समीक्षा के लिए सरकार के साथ मशविरा कर रिजर्व बैंक ने समिति का गठन किया था. समिति ने 14 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.     

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रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि के अधिशेष का हस्तांतरण सरकार को पूर्वनिर्धारित फॉर्मूले के आधार पर तीन से पांच साल में चरणबद्ध तरीके से किए जाने की सिफारिश की गई है. इसे बाद में आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है. आरबीआई जुलाई-जून वित्तीय वर्ष का अनुसरण करता है और सालाना खाते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद लाभांश का वितरण अक्सर अगस्त में किया जाता है. वित्तवर्ष 2020 के लिए सरकार ने आरबीआई से 9,000 करोड़ रुपये लाभांश का अनुमान लगाया है. (इनपुट-एजेंसी)

लेखक NDTV Profit Desk
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