राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति को मंजूरी दे दी। इसे सृजनात्मकता, नवोन्मेष और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए और ट्रेडमार्क पहचान की रक्षा के लिए बनाया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति को मंजूरी दे दी। इसे सृजनात्मकता, नवोन्मेष और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए और ट्रेडमार्क पहचान की रक्षा के लिए बनाया गया है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान इस पर फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, "भारत का बौद्धिक संपदा अधिकार कानून व्यापक और विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है। नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को लागू करने में कानून में किसी प्रकार के बदलाव की जरूरत नहीं होगी।"

विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर तैयार की गई है यह नीति
उन्होंने कहा कि नई नीति औद्योगिक नीति संवर्धन विभाग द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के आधार पर बनाई गई है जिसे सचिवों के एक समूह ने दोबारा जांचा-परखा है। वित्तमंत्री ने कहा कि यह नीति कई क्षेत्रों में 'अनिवार्यता' को प्रोत्साहित करेगी, जिनमें फार्मा, संगीत और साहित्य आदि शामिल हैं। आज के बाद इसकी निगरानी और देखरेख औद्योगिक नीति संवर्धन विभाग द्वारा की जाएगी, न कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा। जैसा कई मामलों में हुआ था। उन्होंने कहा, "नई आईपीआर नीति के सात बुनियादी उद्देश्य हैं। इसमें पर्याप्त जागरूकता पैदा करना, प्रशासन, प्रवर्तन और आईपीआर कानूनों के तहत न्यायिक निर्णय शामिल हैं।"

नीति लागू होने पर किसी ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन में लगेगा केवल एक माह
जेटली ने कहा, "इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानव पूंजी का विकास है।" नई नीति के 2017 से लागू होने के बाद किसी ट्रेडमार्क के पंजीकरण में महज एक महीने लगेगा। इस संदर्भ में फार्मा सेक्टर के बारे में पूछे गए प्रश्न के जवाब में वित्तमंत्री ने कहा, "भारतीय मॉडल कानूनी, न्यायसंगत और विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है।" उन्होंने कहा कि दवाओं की कीमतों को काबू में रखने के लिए 'स्वास्थ्य संबंधी विचारों के साथ पेंटेट कानूनों का संतुलन' बनाना जरूरी है। कई देशों में दवाओं की कीमतें अधिक हैं। लेकिन जीवनरक्षक दवाओं को बाजिब कीमत पर आम नागरिकों की पहुंच में होना चाहिए।

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

लेखक IANS
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