चिदंबरम का एडीबी से आग्रह, ऋण क्षमता दोगुनी करें

केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से अगले दस साल में उसकी वार्षिक ऋण देने की क्षमता बढ़ाकर 20 अरब डॉलर करने का अनुरोध किया।

केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से अगले दस साल में उसकी वार्षिक ऋण देने की क्षमता बढ़ाकर 20 अरब डॉलर करने का अनुरोध किया।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कजाखिस्तान के अस्ताना में एडीबी के संचालन मंडल की 47वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सदस्य देशों की विकास की जरूरतें बड़ी हैं और यह बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा, पिछले पांच साल में पिछली सामान्य पूंजी वृद्धि (जीसीआई) के बाद से साधारण पूंजी संसाधन (ओसीआर) के तहत एडीबी की वार्षिक ऋण देने की क्षमता 10 अरब डॉलर से 11 अरब डॉलर रही है। हमारे सदस्यों की विकास की जरूरतें काफी बड़ी हैं और यह बढ़ रही हैं। मंत्री ने कहा कि विकास बैंक को पर्याप्त रूप से संसाधन संपन्न होने की जरूरत है ताकि वह सदस्य देशों को गरीबी से लड़ने या ढांचागत विकास जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सके।

चिदंबरम ने कहा,  इस संदर्भ में हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि अगले दस साल में एडीबी अपनी ऋण देने की क्षमता दोगुनी करे। वित्त मंत्री ने आगे कहा, मैं सदस्यों से इस मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक विचार करने और अगले दस साल में एडीकी की वार्षिक ऋण क्षमता दोगुनी कर 20 अरब डॉलर करने पर विचार करने का विनम्र आग्रह करना चाहूंगा। उन्होंने सदस्यों से ऋण शुल्कों में वृद्धि पर पुनर्विचार का भी अनुरोध करता हूं। इन शुल्कों पर ज्यादातर सदस्यों की आपत्ति है।

चिदंबरम ने कहा, उधारी के टिकाउ स्तर (एसएलएल) को आय में वृद्धि एवं खर्चे में कटौती की एक व्यापक रणनीति अपनाकर बढ़ाया जा सकता है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में गिरावट के अलावा तेजी से बढ़ते प्रशासनिक खर्चे व स्थिर या घटता ऋण आवंटन एसएलएल में तेज गिरावट की मुख्य वजहों में से एक है।

मंत्री ने कहा कि वास्तविक प्रशासनिक खर्च सालाना 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि आवंटन औसतन केवल 6.5 अरब डॉलर रह गया है।

उन्होंने कहा, खर्च बचाकर या ब्याज आय के जरिये कमाई कर प्रत्येक पैसा हमारी वित्तीय स्थिति में सुधार लाएगा और इससे हमें ऋण देने में और मदद मिलेगी। इन उपायों पर नजर डालने के बजाय बैंक भारी विरोध के बावजूद ऋण के शुल्कों को बढ़ाने का रास्ता चुनता है। चिदंबरम ने कहा कि एक क्षेत्रीय बैंक के तौर पर एडीबी की कार्यप्रणाली में उसके क्षेत्रीय सदस्यों की आकांक्षाएं परिलक्षित होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भागीदारों को बैंकों को अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में मदद के लिए पूंजी में समय-समय पर योगदान करने की जरूरत है।

लेखक NDTV Profit Desk
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