अदाणी ग्रुप को उम्मीद है कि अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स को अगले 2-3 साल में लिस्ट कराएंगे. अंग्रेजी बिजनेस न्यूज पेपर बिजनेस स्टैंडर्ड ने अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के डायरेक्टर जीत अदाणी का इंटरव्यू लिया है. जिसमें जीत अदाणी ने एयरपोर्ट बिजनेस से जुड़ी उनकी भविष्य की योजनाओं, मौजूदा प्रोजेक्ट्स के अपडेट से लेकर कई चुनौतियों के बारे में बात की है.
Business Standard को दिए इस इंटरव्यू में जीत अदाणी से पूछा गया कि AAHL (Adani Airport Holdings Limited) को लिस्ट कराने की उनकी योजना थी, लेकिन पहले वो कुछ बातों पर ध्यान देना चाहते हैं, वो क्या हैं.
इस सवाल के जवाब में जीत अदाणी ने बताया कि जिन बातों पर वो पहले ध्यान देना चाहते हैं उसमें नवी मुंबई एयरपोर्ट का कमर्शियलाइजेशन और स्टैबलाइजेशन शामिल है, जो कि अगले साल से किया जाएगा.
2-3 साल में AAHL की लिस्टिंग
जीत अदाणी ने बताया कि 'हमारे सिटी साइड डेवलपमेंट के पहले चरण में एयरपोर्ट्स के आसपास सिटी साइड डेवपलमेंट एक महत्वपूर्ण फैक्टर होगा. सिटी साइड डेवलपमेंट में स्पेस को लीज पर देने का है, जो कि 2028-29 में शुरू किया जाएगा. इसलिए, अगर प्री-लीजिंग शुरू भी हो जाती है, तो इससे ये दिखने लगेगा कि हमारा बिजनेस मॉडल काम करता है.
उन्होंने कहा कि तीसरी चीज है हमारा नॉन-एयरो रेवेन्य ग्रोथ, जब हमने अपना एयरपोर्ट बिजनेस शुरू किया था तब से ये करीब तीन गुना बढ़ चुका है.ये अब उस स्तर पर जारी नहीं रहने वाला है क्योंकि ये अब मैच्योरिटी पर पहुंच रहा है, अगले दो वर्षों में, नॉन-एयरपो विकास में लगातार उछाल आएगा और ये एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगा जहां ये खुद एक बड़ी आय का जरिया बनने जा रहा है.
एक बार ये तीनों चीजें हो जाएं, तो AAHL का Ebitda, जो आज करीब 300 मिलियन डॉलर है, बढ़कर 11.5 बिलियन डॉलर हो जाएगा. इसलिए, एक निवेश के नजरिए से, उन्हें भरोसा है कि AAHL जो भी कुछ कर रहा है, वो सही है.
उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि ये तीनों ही चीजें हासिल हो जाएं तभी हम लिस्टिंग के लिए जाएंगे. इनमें से कोई एक या दो भी हो जाएं ताकि हम अपने बिजनेस प्लान का एक बड़ा हिस्सा प्रदर्शित कर सके. एक बार जब हम लगभग 1 बिलियन डॉलर एबिटा के स्तर पर होंगे, तो हम इस बिजनेस को लिस्ट करने में सहज होंगे, ऐसा होने में कम से कम 2-3 साल लगेंगे.
जीत अदाणी ने बताया कि नवी मुंबई एयरपोर्ट के दूसरे और तीसरे चरण का काम अगले साल से शुरू हो जाएगा, जो कि पहले साल 2027 और 2028 में शुरू होना था.
नॉन एयरो रेवेन्यू बढ़ाने का प्लान
उन्होंने नॉन-एयरो बिजनेस के रेवेन्य ग्रोथ को बढ़ाने के प्लान का भी खाका पेश किया. उन्होंने कहा कि पहले तो हम स्पेस (रिटेल वगैरह के लिए) को बढ़ा रहे हैं, दूसरा पूरे ब्रैंड्स और प्रोडक्ट्स को हम छांट रहे हैं. उन्होंने कहा कि कंज्यूमर लेवल डिटेलिंग को लेकर हम एक बेहद कठिन अभ्यास से गुजर रहे हैं. हम उसी पुराने ढर्रे पर नहीं चल रहे हैं कि जिसमें अगर KFC या डॉमिनोज आ रहे हैं तो हमें उन्हें अपने हर एक एयरपोर्ट पर रखना होगा, क्योंकि हर एक शहर में खपत का पैटर्न बिल्कुल अलग है.
'तो, हम पूरी तरह से तैयार हो गए हैं. हम किसी शहर में एक खास उपभोक्ता समूहों और उनके खर्च करने के पैटर्न को देख रहे हैं. जैसे- वो कैसे सफर कर रहे हैं, - समूह में हैं या अकेले, पुरुष है या महिला, क्योंकि ये सब खर्च करने के तरीके को बदलता है. इसी आधार पर हम खास तौर पर उन उपभोक्ता समूहों को टारगेट करते हुए ब्रैंड्स और खाद्य पदार्थों के साथ टाई-अप कर रहे हैं'.
जीत अदाणी ने कहा कि केवल इसी से ही रेवेन्यू ग्रोथ, इस साल करीब 1520% और अगले वर्ष 1520% होने जा रही है.
क्या है सिटी साइड डेवलपमेंट प्लान
जीत अदाणी ने बताया कि आज हमारे पास 8 एयरपोर्ट्स हैं, हम यहां पर फुल मिक्स्ड यूज डेवलपमेंट करना चाहते हैं. पहले चार सिटी साइड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ और जयपुर में टर्मिनलों के आसपास में शुरू की जा चुकी हैं. मुंबई और अहमदाबाद में निर्माण शुरू हो चुका है. अगले तीन से चार महीनों में सब कुछ तेजी के साथ हो जाएगा.
शहर की जरूरत को समझते हुए हमने अहमदाबाद में एक अच्छी क्वालिटी वाले होटल और कन्वेंशन सेंटर की बड़ी जरूरत देखी है. इसी तरह मुंबई में हमें अच्छे होटलों की कमी दिखती है. इसलिए हम वहां होटल बना रहे हैं. अहमदाबाद की तरह ही मुंबई में भी एक बड़े कन्वेंशन सेंटर की जरूरत है. जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर और बोरीवली में एक है, इसके अलावा मुंबई में कोई दूसरा कन्वेंशन सेंटर नहीं है.
इस इंटरव्यू में जीत अदाणी ने AAHL के कैपेक्स प्लान को लेकर भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मोटे तौर पर, अगले पांच वर्षों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना है.
मौजूदा टर्मिनल्स के विस्तार और एयरपोर्ट्स पर नए टर्मिनल बनाने के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया जाएगा.
मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ और जयपुर के एयरपोर्ट्स पर शुरुआती सिटीसाइड विकास परियोजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल होगा
नवी मुंबई एयरपोर्ट पर दूसरे चरण के निर्माण के लिए करीब 18,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया जाएगा
भविष्य के विलय-अधिग्रहण और सरकार के एयरपोर्ट मॉनेटाइजेशन (निजीकरण) के अगले दौर के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये भी रख रहे हैं
इसके अलावा अगर कोई अंतरराष्ट्रीय मौके हमारे लिए उपयोगी होता है तो हम उस धनराशि को रख रहे हैं
ग्राउंड हैंडलिंग सर्विसेज शुरू करेंगे
एक इन्वेस्टर प्रेजेंटेशन में अदाणी ग्रुप ने कहा था कि वो अपना ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस शुरू करने जा रही है, इस पर जीत अदाणी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान जब हम एयरपोर्ट्स बिजनेस में काम कर रहे थे, तब हमें एहसास हुआ कि इको-सिस्टम कितना जटिल है. एक एयरपोर्ट ऑपरेटर के रूप में अगर हमने हर चीज में रियायत (अनुबंधित) दी है, तो एयरपोर्ट में किसी भी ऑपरेशंस में हमारा कोई कंट्रोल नहीं है.
हम सिर्फ बिल्डिंग बनाते हैं और फिर 10 अलग-अलग कंपनियां वहां आकर काम करती हैं. इसका मतलब ये था कि कस्टमर एक्सपीरियंस पर हमारा बहुत कम नियंत्रण था. उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि अगर कोई बैग बेल्ट पर देर से आ रहा है, तो हम यात्रियों को बस ये बताएंगे कि समस्या ग्राउंड हैंडलर की है. अगर सिक्योरिटी में समय लग रहा है तो मामला सुरक्षा कर्मचारियों का है. फिर, सवाल उठता है कि एयरपोर्ट ऑपरेटर आखिर में कर क्या रहा है? इसलिए, नॉन एयरो रेवेन्यू के बारे में हमारी पूरी रणनीति के साथ, हमें कार पार्किंग, ड्यूटी फ्री, लाउंज, फूड एंड बेवरेजेज, रिटेल सर्विसेज वगैरह से लेकर हर चीज को अपने हाथ में लेना चाहिए, इससे सब कुछ हमारे पास होगा.
कार्गो, ईंधन फार्म, ग्राउंड हैंडलिंग वगैरह जैसी एयरोनॉटिकल सर्विसेज के लिए हमारी एक ही रणनीति है. हम हर एक चीज का मालिक बनना चाहते हैं, क्योंकि हम ग्राहक अनुभव को पूरी तरह से नियंत्रित करना चाहते हैं. हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आखिर में डिजिटल और फिजिकल दोनों ही तरह से ग्राहक के लिए ये अदाणी एक्सपीरियंस होना चाहिए.
जीत अदाणी ने बताया कि मार्च में ही नवी मुंबई एयरपोर्ट के साथ ही ग्राउंड हैंडलिंग सर्विसेज की शुरुआत करेंगे.
ये पूछे जाने पर कि क्या वो किसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट बिजनेस पर काम कर रहे हैं, तो उन्होंने साफ किया कि हम केवल ऐसे ही कोई इंटरनेशनल विस्तार नहीं करेंगे. हम ऐसा तभी करेंगे जब ये हमारे भारतीय नेटवर्क में शामिल होगा, जैसा कि हमने बंदरगाहों में किया है. उन्होंने ये भी साफ किया कि कंपनी की योजना अपनी एयरलाइन शुरू करने की भी नहीं है.