डाबर इंडिया (Dabur India Ltd.) को चलाने वाले बर्मन परिवार और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज बोर्ड के बीच एक बार तनाव फिर बढ़ गया है. बर्मन परिवार ने ESOP (employee stock ownership plans) के जरिए रेलिगेयर फिनवेस्ट (Religare Finvest Ltd.) के शेयरों को चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को अलॉट करने के मामले की जांच करने की मांग की है.
'बिना डिस्क्लोजर शेयर आवंटित किए'
बर्मन परिवार ने आरोप लगाया कि 2.14 करोड़ शेयर, जो कंपनी की इक्विटी का करीब 8% है, पैरेंट कंपनी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के शेयरधारकों की मंजूरी और जरूरी डिस्क्लोजर के बिना ही रश्मि सलूजा को आवंटित कर दिए गए. बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया, ये मैनेजमेंट और स्वतंत्र निदेशकों की स्वतंत्रता और इस तरह के अनुचित आवंटन में उनकी मिलीभगत को लेकर सवालिया निशान उठाता है. बर्मन परिवार ने कहा कि इस तरह की हरकतों ने 'REL बोर्ड में भरोसा और विश्वास को खत्म कर दिया है, जिससे विश्वसनीयता बहाल करने की तत्काल जरूरत है'.
उन्होंने कंपनी के बोर्ड से इस बात का भी खुलासा करने के लिए कहा है कि क्या संस्थाओं को ESOP जारी करने और हितों के संभावित टकराव के और भी मामले मौजूद हैं.
आरोपों पर रेलिगेयर का जवाब
रेलिगेयर की तरफ से भी इन आरोपों का जवाब दिया गया है, जिसमें कंपनी ने कहा है कि रश्मि सलूजा को रेलिगेयर फिनवेस्ट ESOP के लिए 26 सितंबर को सालाना आम बैठक में शेयरधारकों की मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक विशेष प्रस्ताव के जरिए मंजूरी किया गया था. हालांकि, कंपनी ने कहा कि उसने सलूजा को इन ESOPs की मंजूरी के लिए नॉमिनेशन और रेमुनेरेशन कमिटी के पास आज तक कोई प्रस्ताव नहीं रखा है.
बर्मन परिवार के रेलिगेयर पर आरोप
बीते दो महीने में बर्मन परिवार की तरफ से ये दूसरा आरोप है. इसके पहले पिछले साल नवंबर में बर्मन परिवार ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन, रश्मि सलूजा पर इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था.
7 नवंबर को SEBI को लिखी गई चिट्ठी के मुताबिक, बर्मन परिवार ने कहा कि रेलिगेयर के शेयरधारकों के लिए एक ओपन ऑफर के इरादों के बारे में बताए जाने के बाद सलूजा ने कंपनी के 34.71 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए . ये जानकारी सलूजा को 20 सितंबर को गोपनीय आधार पर, कंपनी के एग्जिक्यूटिव चेयरपर्सन होने की वजह से दी गई थी. सलूजा और बर्मन परिवार के प्रतिनिधि अर्जुन लांबा के बीच एक बैठक के बाद 21 सितंबर और 22 सितंबर को शेयर बेचे गए.
कुछ दिनों बाद, बर्मन ने सलूजा के ऊंचे मुआवजे को लेकर मामला उठाया, जो कि 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का था, बर्मन परिवार के प्रवक्ता ने कहा, 'ये रकम किसी भी किसी भी पैरामीटर पर सही नहीं बैठती है'. हालांकि, रेलिगेयर ने इन आरोपों को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि ये पूरी तरह से गलत हैं.