खत्म हुआ लकोस्टे और क्रोकोडाइल के बीच 23 साल पुराना 'Logo' विवाद, हाई कोर्ट ने दिया फैसला

हाई कोर्ट के फैसले में ये भी कहा गया है कि क्रोकोडाइल इंटरनेशनल को अगस्त 1998 से विवादित ट्रेडमार्क वाले प्रोडक्ट्स को बेचने से हुए सभी मुनाफे का हिसाब देना होगा.

Source: Company Logo

लकोस्टे (Lacoste India) और हॉन्ग कॉन्ग की कंपनी 'क्रोकोडाइल इंटरनेशनल' के बीच 23 साल से चल रही ट्रेड मार्क की लड़ाई पर दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि क्रोकोडाइल इंटरनेशनल ने 'क्रोकोडाइल ट्रेडमार्क' का इस्तेमाल करके लकोस्टे के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने कंपनी से इसका इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दिया है.

'क्रोकोडाइल' को लगा तगड़ा झटका

जस्टिस संजीव नरूला ने पाया कि 'क्रोकोडाइल इंटरनेशनल' (Crocodile International) का ट्रेडमार्क (Trademark) भ्रामक रूप से लकोस्टे के जैसा ही था. इसलिए कंपनी को इस ट्रेड मार्क का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि हॉन्ग कॉन्ग की कंपनी अब मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री, विज्ञापन या किसी दूसरे इस्तेमाल के लिए क्रोकोडाइल ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं कर सकती है.

हाई कोर्ट के फैसले में ये भी कहा गया है कि क्रोकोडाइल इंटरनेशनल को अगस्त 1998 से विवादित ट्रेडमार्क वाले प्रोडक्ट्स को बेचने से हुए सभी मुनाफे का हिसाब देना होगा, जब तक कि उन्होंने इसका इस्तेमाल बंद नहीं कर दिया. इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए कोर्ट ने रिटायर्ड जज अमर नाथ को लोकल कमिश्नर नियुक्त किया है.

मुनाफे का हिसाब किताब भी देना होगा

रिटायर्ड जज अमर नाथ विवादित ट्रेडमार्क से कमाए गए मुनाफे को तय करने के लिए क्रोकोडाइल इंटरनेशनल के फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स की समीक्षा करेंगे. फिर छह हफ्ते के भीतर ही क्रोकोडाइल इंटरनेशनल को अपने वित्तीय दस्तावेज और बाकी जानकारियां भी मुहैया करानी होंगी.

लकोस्टे की ओर से लोकल कमिश्नर को फीस और बाकी खर्चों का भुगतान करने के लिए 3 लाख रुपये एडवांस में देने होंगे. लोकल कमिश्नर दोनों पक्ष के वकीलों के साथ परामर्श से सबूतों की समीक्षा के लिए तारीख तय करेंगे. ये पूरी प्रक्रिया चार महीने के भीतर पूरी होने की उम्मीद है, और लोकल कमिश्नर को सबूतों की समीक्षा पूरी करने के बाद चार हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट जमा करनी होगी.

क्या था विवाद?

ये विवाद काफी लंबे समय से चल रहा था. लकोस्टे ने दावा किया कि क्रोकोडाइल इंटरनेशनल की ओर से इस्तेमाल किया गया लोगो उनके अपने ट्रेडमार्क से काफी मिलता-जुलता है, जिसे कॉपीराइट और ट्रेडमार्क पंजीकरण दोनों ने संरक्षित किया है. भारत में, लकोस्टे ने 1957 और 1994 के कॉपीराइट अधिनियमों के तहत अपने 'क्रोकोडाइल' लोगो के लिए कॉपीराइट करवा रखा है.

जबकि दूसरी ओर, क्रोकोडाइल इंटरनेशनल ने तर्क दिया कि लकोस्टे पिछले समझौते का उल्लंघन कर रहा है जिसने दोनों पक्षों को एशियाई बाजार में शांतिपूर्वक एक साथ रहने की अनुमति दी थी.और वो ये मानकर चल रहे थे कि इस समझौते का विस्तार भारत तक भी होना चाहिए.