NCLAT ने ICICI सिक्योरिटीज की डीलिस्टिंग मंजूरी के खिलाफ शेयरधारकों की अपील पर ICICI सिक्योरिटीज और ICICI बैंक को नोटिस जारी किया है. ICICI सिक्योरिटीज ने तर्क दिया कि शेयरधारकों ने इस योजना के खिलाफ अपील की है, लेकिन इसे मंजूरी देने वाले आदेश को चुनौती नहीं दी गई है.
पहले क्या मंजूरी मिली थी
मुंबई की NCLT बेंच ने पहले इस योजना को मंजूरी दी थी, जिसमें दो अलग-अलग आदेश दिए गए थे- एक योजना को मंजूरी देना, और दूसरा शेयरधारकों की आपत्तियों को खारिज करना.
इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में अपना पक्ष रख रहे ICICI सिक्योरिटीज के वकील ने ये भी बताया कि डीलिस्टिंग का विरोध करने वाले शेयरधारकों की संख्या 10% होनी चाहिए, जबकि चुनौती देने वाले शेयरधारकों की संख्या 10% की सीमा से काफी कम है. जिससे उनकी अपील कितना टिकेगी, इस पर सवाल खड़ा होता है. ये अपील सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि शेयरधारकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया गया था.
इस बीच, शेयरधारकों ने दावा किया कि उन्होंने शुरू में दोनों आदेशों के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन रजिस्ट्री में अलग-अलग अपील दायर करने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने बताया कि ICICI सिक्योरिटीज के वकील को आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए गए हैं, तो ये उनकी गलती नहीं है. शेयरधारकों ने ये भी बताया कि SEBI ने डीलिस्टिंग वोट से संबंधित मुद्दों की पहचान की थी, फिर भी NCLT ने योजना को मंजूरी दे दी.
जानें पूरा विवाद
विवाद ICICI सिक्योरिटीज की डीलिस्टिंग योजना से शुरू हुआ, जिसे 93.8% इक्विटी शेयरधारकों ने मंजूर किया था. डीलिस्टिंग में हर 100 ICICI सिक्योरिटीज शेयरों के लिए 67 ICICI बैंक शेयर ऑफर किए गए थे.
इस मंजूरी के बावजूद, 0.08% हिस्सेदारी रखने वाले क्वांटम म्यूचुअल फंड (Quantum Mutual Fund) और 0.002% हिस्सेदारी वाले माइनॉरिटी शेयरधारक मनु ऋषि गुप्ता ने योजना का विरोध किया. हालांकि, NCLT ने उनकी चिंताओं को खारिज कर दिया और डीलिस्टिंग को मंजूरी दे दी.
इससे जुड़ा एक मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में भी पेंडिंग है, जहां ICICI सिक्योरिटीज को SEBI के जरिए रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया से छूट को चुनौती दी जा रही है. NCLAT की अपील और हाई कोर्ट के मामले दोनों से पता चलता है कि ICICI सिक्योरिटीज की डीलिस्टिंग में आगे और कानूनी अड़चनें आ सकती हैं.