डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका कई सुधारों और नियम-कानूनों में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. अब H-1B वीजा प्रोग्राम में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जिसमें फॉरेन लेबर एक्सेस गेटवे (FLAG) 20 मार्च से पुराने आवेदनों को डिलीट करने की तैयारी कर रहा है. साथ ही, US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) आवेदन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक नई प्रणाली शुरू करने जा रहा है.
वीजा और लेबर सर्टिफिकेट आवेदनों के मैनेजमेंट के लिए FLAG पर निर्भर रहने वाले अमेरिका के एम्पलॉयर्स को सलाह दी गई है कि वो 19 मार्च से पहले अपने रिकॉर्ड की प्रतियां सुरक्षित कर लें, क्योंकि सिस्टम बड़े पैमाने पर डेटा हटाने की तैयारी कर रहा है.
H-1B वीजा अमेरिका में रोजगार चाहने वाले स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए जरूरी है. कथित तौर पर ट्रंप के प्रशासन के तहत पेश किए गए नए बदलावों का मकसद आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता और एफिशिएंसी में सुधार करना है.
5 साल से पुराना रिकॉर्ड होगा डिलीट
नए नियम के मुताबिक, 5 साल से पुराना कोई भी रिकॉर्ड सिस्टम से हटा दिया जाएगा. अगर किसी मामले की अंतिम निर्धारण तिथि 22 मार्च 2020 है, तो आवेदन इस वर्ष 22 मार्च को हटा दिया जाएगा.
इन प्रोग्राम पर पड़ेगा असर
प्रचलित वेतन निर्धारण– Prevailing Wage Determinations (PWD)
स्थायी श्रम सर्टिकेशन आवेदन– Permanent Labor Certication Applications(PERM)
अस्थायी श्रम सर्टिकेशन आवेदन– Temporary Labor Certication Applications (H-2A, H-2B, CW-1 visas)
अस्थायी श्रम शर्त आवेदन– Temporary Labor Condition Applications (H-1B,
H-1B1, and E-3 visas)
उदाहण के तौर पर मान लीजिए कि अगर किसी एप्लीकेशन की अंतिम निर्धारण की तारीख मार्च 22, 2020 है तो ये मार्च 22, 2025 को सिस्टम से हट जाएगा
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H-1B आवेदकों पर क्या होगा असर?
नियोक्ताओं को 19 मार्च तक पांच साल से पुराने किसी भी मामले को डाउनलोड करने के लिए कहा गया है. USCIS एक नई आवेदन प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसे सभी आवेदकों के लिए निष्पक्ष और समान बताया जा रहा है.
पिछले सिस्टम के तहत, एक ही कैंडिडेट के लिए कई एम्पलॉयर्स आवेदन जमा कर सकते थे, जिससे कैंडिडेट के चुने जाने की संभावना बढ़ जाती थी. नया मॉडल उनकी ओर से जमा किए गए आवेदनों की संख्या के बजाय व्यक्तिगत लाभार्थियों पर ध्यान केंद्रित करके इस लाभ को समाप्त कर देगा. इसका उद्देश्य बड़ी कंपनियों को कई फाइलिंग के जरिए चयन पर एकाधिकार करने से रोकना है.
रजिस्ट्रेशन फीस में भी प्रति आवेदन $10 (लगभग 863 रुपये) से $215 (लगभग 18,545 रुपये) की भारी बढ़ोतरी होगी. बदलाव के तहत आवेदकों को अपने नियोक्ता की ओर से फुल H-1B एप्लीकेशन जमा करने से पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा. इससे आवेदन समीक्षा में तेजी आने की उम्मीद है.
एम्पलॉयर्स को क्या करना चाहिए?
व्यवधानों से बचने के लिए नियोक्ता ये कदम उठा सकते हैं
महत्वपूर्ण दस्तावेजों का बैकअप सुनिश्चित करने के लिए इंटरनल आर्काइव बनाएं
अगर चल रहे आवेदनों के लिए पिछले केस रिकॉर्ड की आवश्यकता है, तो कानूनी मदद लें
ये तय करने के लिए NARA से संपर्क करें कि क्या कोई डॉक्यूमेंट संरक्षित किया गया है
अगर रिकॉर्ड हटाने के बाद खो जाते हैं, तो एम्पलॉयर्स को केस हिस्ट्री को फिर से बनाने के लिए USCIS, श्रम विभाग (DOL) या कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क करना पड़ सकता है