ग्रामीण भारत में ज्यादातर युवा अपने मौजूदा काम से खुश नहीं हैं और वे अपनी जॉब बदलना चाहते हैं. ग्रामीण इलाकों में रोजगार को लेकर महिलाओं और पुरुषों के बीच खाई भी चिंता का विषय है.
देश के ग्रामीण युवाओं के बीच कराए गए सर्वे के बाद जारी की गई रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं. रिपोर्ट कहती है कि 70-85% युवा अपने मौजूदा काम से खुश नहीं हैं और वे अपनी नौकरी बदलना चाहते हैं.
ग्लोबल डेवलपमेंट इनक्यूबेटर (GDI), ग्लोबल ऑपर्च्युनिटी यूथ नेटवर्क (GOYN), डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRI) ने ‘ग्रामीण युवा रोजगार की स्थिति 2024’ (State of Rural Youth Employment Report 2024) नाम से ये रिपोर्ट जारी की है.
इस रिपोर्ट में देश के 21 राज्यों के 5,169 'अवसर युवाओं' (Opportunity Youth) को शामिल किया गया. अवसर युवाओं से मतलब ऐसे युवा वर्ग से है, जो या तो बेरोजगार हैं, या जिनके पास कम रोजगार है. देश के ग्रामीण इलाकों के करीब 70% युवा इसके तहत आते हैं.
महिला-पुरुष के बीच खाई
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि
18-25 वर्ष की आयु के 50% से ज्यादा युवा किसी-न-किसी रोजगार में लगे हुए हैं, जबकि इसी एज ग्रुप की केवल 25% महिलाएं ही कार्यरत हैं.
वहीं, 26-35 वर्ष की आयु के लोगों में लगभग 85% पुरुष कार्यरत हैं, और लगभग 10% पहले काम करने के बाद वर्तमान में बेरोजगार हैं.
इसके विपरीत, इसी एज ग्रुप की 40% महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि 25% वर्कफोर्स से बाहर हो चुकी हैं, और एक तिहाई ने कभी भी काम नहीं किया है.
क्या चाहते हैं ग्रामीण युवा?
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक,
फिलहाल काम कर रहे 70 से 85% युवाओं ने नए अवसरों की तलाश में अपनी नौकरी बदलने की इच्छा जताई.
60% से ज्यादा पुरुष और 70% से ज्यादा महिलाएं गांव या आसपास ही काम चाहते हैं, भले ही आय 20 से 30% कम ही क्यों न हो.
करियर बदलने का लक्ष्य रखने वालों में दोनों एज ग्रुप के महिलाओं और पुरुषों ने छोटे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, रिटेल या स्मॉल बिजनेस शुरू करने में रुचि दिखाई.
ऐसे युवाओं में करीब 90% पुरुषों और 50% महिलाओं ने पूंजी की जरूरत महसूस की, जबकि करीब 8% महिलाओं और 12% पुरुषों ने ट्रेनिंग की जरूरत महसूस की.
काश! सैलरीड जॉब मिल जाए
युवा महिलाओं (18-25 वर्ष) की प्राथमिकता में सरकारी नौकरी भी रही, जबकि उम्र बढ़ने के साथ (26-35 वर्ष) उनकी चाहत स्वरोजगार करने की है.
महिलाओं ने शिक्षक बनने, अकाउंटेंट और फ्रंट डेस्क पर ग्राहकों से जुड़े क्लेरिकल पोस्ट को प्राथमिकता दी. सेल्स और मार्केटिंग इनकी पसंद नहीं है.
वहीं, सैलरीड रोजगार चाहने वाले पुरुषों में टीचिंग, अकाउंटिंग और क्लेरिकल भूमिकाओं के साथ फैक्ट्री में काम करने की चाहत है.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'ये प्राथमिकताएं ग्रामीण भारत में इन व्यवसायों की बढ़ती मांग और गिग वर्क की बढ़ती लोकप्रियता दर्शाती हैं.'
आखिर खेती से क्यों है परहेज?
सर्वे में शामिल अधिकांश युवाओं ने खेती को बेहतर विकल्प नहीं माना. 70% युवाओं ने कम प्रोडक्टिविटी और पर्याप्त फायदा न होने' के चलते खेती से परहेज किया.
युवाओं का कहना था कि खेती को रोजगार का बेहतर और आकांक्षी विकल्प बनाने के लिए फसल विविधीकरण (Crops Diversification) के लिए समर्थन, प्रोडक्टिविटी बढ़ाने को पर्याप्त तकनीकी सहायता और उच्च गुणवत्ता व किफायती एग्री-इनपुट तक पहुंच महत्वपूर्ण हैं.
सरकारी और निजी प्रयास जरूरी
ये सर्वे बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों और आसपास रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की जरूरत महसूस कराता है. ग्रामीण भारत में गिग वर्क की मांग और लोकप्रियता बढ़ी है यानी ग्रामीण इलाकों में फैक्ट्रियां खोली जाए और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई जाए तो बेहतर रहेगा.
इसके लिए सरकारी और निजी स्तर पर प्रयास करने होंगे. बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण में भी सरकार ये बात कह चुकी है और वित्त मंत्री भी इस ओर ध्यान दिला चुकी हैं कि प्राइवेट कंपनियों को भी आगे आकर जिम्मेदारी लेनी होगी.
वहीं, ग्रामीण युवाओं के बीच खेती के प्रति आकर्षण हो, इसके लिए सपोर्ट से जुड़े बड़े कदम उठाने की भी जरूरत पर बल देता है. किसानों की आये बढ़ाने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध भी है. इसमें युवाओं का भरोसा बढ़ाना होगा.