विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद, ग्लोबल ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए अमेरिका ने भारत के रूसी तेल आयात को प्रोत्साहित किया. ये बात अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के मास्को से कच्चे तेल की खरीद पर भारत पर टैरिफ "बहुत ज्यादा" बढ़ाने की धमकी देने के कुछ ही समय बाद कही गई.
US को भारत का जवाब
इसमें कहा गया, "भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी. उस समय अमेरिका ने ग्लोबल ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत के इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था."
US, EU भी कर रहे हैं रूस से कारोबार
विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में, अमेरिका का ये कहकर भी जवाब दिया कि यूरोपीय संघ के साथ-साथ अमेरिका भी रूस के साथ व्यापार कर रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "ये जगजाहिर हो रहा है कि भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं. हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई राष्ट्रीय अनिवार्यता भी नहीं है."
मंत्रालय ने बताया कि यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं.
जहां तक अमेरिका का सवाल है, वो अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता रहता है.
विदेश मंत्रालय की ये प्रतिक्रिया ट्रंप द्वारा एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत पर यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच सस्ते रूसी तेल की खरीद से मुनाफाखोरी करने का आरोप लगाने के कुछ घंटों बाद आई है.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, "भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए तेल का एक बड़ा हिस्सा खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच रहा है. उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं. इस वजह से, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफ़ी वृद्धि करूंगा."
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल और जून के बीच, भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूसी तेल का हिस्सा 33.7% था. ये कैलेंडर वर्ष 2024 की तुलना में थोड़ा कम है, जब भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूसी तेल का हिस्सा 36% था.
भारत ने अपने बयान में रूसी तेल आयात को "ग्लोबल बाजार की स्थिति के कारण एक जरूरत" बताया और कहा कि इसका उद्देश्य "भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है."
भारत के बयान में यूरोपीय संघ के रूस के साथ व्यापारिक संबंधों का भी विस्तार से ज़िक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार का आकार भारत के व्यापार से काफी ज्यादा है. प्रवक्ता ने कहा, "यूरोपीय संघ का 2024 में रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 बिलियन यूरो था. इसके अलावा, 2023 में सेवाओं का व्यापार 17.2 बिलियन यूरो होने का अनुमान है."
EU का LNG आयात रिकॉर्ड स्तर पर
इसमें आगे कहा गया है, "वास्तव में, 2024 में यूरोपीय LNG आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया." बयान के अनुसार, इस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और परिवहन उपकरण भी शामिल हैं.
इसलिए, भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है, बयान में निष्कर्ष निकाला गया है. "किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा."