नोटबंदी पर पिछले साल जनवरी से जारी थी चर्चा : RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने संसदीय समिति को बताया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को इस बात की जानकारी नहीं दी कि नोटबंदी के बाद प्रभावित हुई बैंकिंग व्यवस्था कब तक सामान्य हो जाएगी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जितनी भी रकम की जरूरत होगी केंद्रीय बैंक उसकी आपूर्ति करने में सक्षम होगा.

RBI गवर्नर उर्जित पटेल बुधवार को वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सामने पेश हुए (फाइल फोटो)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को इस बात की जानकारी नहीं दी कि नोटबंदी के बाद प्रभावित हुई बैंकिंग व्यवस्था कब तक सामान्य हो जाएगी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जितनी भी रकम की जरूरत होगी केंद्रीय बैंक उसकी आपूर्ति करने में सक्षम होगा.

आरबीआई प्रमुख ने समिति को बताया कि नई करेंसी में 9.23 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में डाले जा चुके हैं. उर्जित पटेल ने संसदीय समिति को यह भी बताया कि नोटबंदी पर चर्चा पिछले साल जनवरी से जारी थी.

आरबीआई गवर्नर का यह बयान समिति को पहले दिए गए उस लिखित बयान के उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को बड़े रद्द नोटों को रद्द करने की 'सलाह' दी थी. पटेल ने समिति को यह नहीं बताया कि प्रतिबंधित नोटों में से कितने बैंकों में वापस आ चुके हैं.

उर्जित पटेल ने कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व वाली वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को बताया कि
जनवरी, 2014 में 1000 रुपये के नोटों की एक सीरीज को आंशिक रूप से वापस ले लिया था.सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी समिति के सामने पेश हुए, लेकिन उन्होंने सांसदों के उस सवाल का जवाब नहीं दिया कि नोटबंदी के बाद प्रतिबंधित नोटों में कितनी रकम बैंकों में जमा हुई.

(पढ़ें : नोटबंदी से नहीं लगेगा ब्लैकमनी पर लगाम, सरकार ने नहीं उठाए सही कदम : एसोचैम स्टडी)

बैठक के बाद तृणमूल सांसद सौगत रे ने कहा कि आरबीआई गवर्नर की सफाई से वे संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'RBI गवर्नर बचाव के मुद्रा में थे. उन्होंने हमारे दो सवालों का जवाब नहीं दिया. पहला सवाल ये था कि नोटबंदी के बाद कितना पैसा लोगों ने बैंकों में जमा कराया और दूसरा सवाल कि कब तक देश में बैंकिंग व्यवस्था सामान्य हो पाएगी.'

सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान जब आरबीआई गवर्नर से बैंकों से रकम निकासी की सीमा हटाने को लेकर सवाल पूछा गया तो वहां मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इस सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं है. संसदीय समिति के सामने वित्त मंत्रालय के बड़े अधिकारी भी पेश हुए. सांसदों ने उन्हें नोटबंदी से जुड़े सवालों की एक लंबी सूची सौंप दी. अब नोटबंदी के नफा-नुकसान का आंकलन कर रही संसदीय समिति के सामने आरबीआई गवर्नर और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को दोबारा पेश होना पड़ सकता है.

शुक्रवार को उर्जित पटेल केवी थॉमस के नेतृत्व वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष भी पेश हो सकते हैं. थॉमस ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि अगर जरूरत हुई तो नोटबंदी के मुद्दे पर सफाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी समन किया जा सकता है. इस बयान के खिलाफ भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत कर थॉमस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

आरबीआई की इस बात के लिए आलोचना हो रही है नोटबंदी को लेकर उसने पहले से पर्याप्त तैयारियां नहीं की थीं और उसने अपनी स्वायत्तता से समझौता किया.

(पढ़ें : सरकारी कुप्रबंधन से रिज़र्व बैंक की साख पर संकट : 11 अहम सवाल)

नोटबंदी के बाद देश में भीषण नकदी संकट की स्थिति पैदा हो गई और बैंकों तथा एटीएम के बाहर लंबी लाइनें लगती रहीं. एटीएम मशीनों को नए नोटों के हिसाब से कैलिब्रेट करने में भी काफी समय लगा.नोटबंदी के बाद पैसे निकालने की सीमा भी कई बार बदली गई.

(पढ़ें : नोटबंदी के दौरान सहकारी बैंकों में क्या गड़बड़ी हुई, RBI को नहीं मालूम)

रिजर्व बैंक ने अब तक यह जानकारी नहीं दी है कि 15.44 लाख करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोटों में से कितनी रकम बैंकों में वापस आई है (कुछ रिपोर्टों के अनुसार पुराने नोटों का करीब 97 फीसदी हिस्सा बैंकों में वापस आया है).

लेखक NDTV Profit Desk
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