सर्वरों की संख्या बढ़ाने के बाद भी ठप पड़ जाती है IRCTC की साइट

देश में रेलवे के टिकट पर यात्रा करने वालों में पैसों वालों से लेकर गरीब आदमी सब शामिल हैं। प्रतिदिन रेलवे से करीब दो करोड़ लोग सफर करते हैं। फिलहाल रेलवे के कुल टिकट का करीब 55 फीसदी IRCTC की वेबसाइट पर ही बुक होता है।

आईआरसीटीसी की डाउन साइट का स्क्रीनशॉट

देश में रेलवे के टिकट पर यात्रा करने वालों में पैसों वालों से लेकर गरीब आदमी सब शामिल हैं। प्रतिदिन रेलवे से करीब दो करोड़ लोग सफर करते हैं। फिलहाल रेलवे के कुल टिकट का करीब 55 फीसदी IRCTC की वेबसाइट पर ही बुक होता है।

55 फीसदी रेलवे टिकट बुक करने वाली IRCTC के करीब 3 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। जबकि रोजाना 15 हजार नए यूजर जुड़ते हैं और करीब 20 लाख लोग लॉग इन करते हैं और रोजाना 2 से 3 करोड़ हिट होते हैं।

पिछले साल IRCTC ने सर्वरों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 किया था। नतीजा यह हुआ पहले जहां हर मिनट 7200 टिकट बुक होते थे। रेलवे का दावा है कि दो नए सर्वरों के जुड़ने के बाद हर मिनट 15 हजार से ज्यादा टिकट बुक होने लगे। अब नए सर्वर लगने से 3 लाख लोग एक साथ रेलवे की इस साइट से अपना काम कर सकते हैं।

इतने दावों के बावजूद रेलवे की साइट व्यस्ततम समय में डाउन हो जाती है और लोग परेशान होते रहे हैं। लोगों को समझाने, बताने के लिए कुछ नहीं है। साइट पर हालात ऐसे रहते हैं कि कोई नंबर तक नहीं होता। कोई लिंक काम नहीं करता है। रेलवे के इंजीनियर साइट को मैंनटेन करने में नाकाम रहते हैं। आज बुधवार को भी करीब आधा घंटा साइट डाउन रही।

अकसर रेलवे कहती है कि टिकट बुकिंग में दलालों पर नकेल कसने के लिए रेल मंत्रालय ने ऑनलाइन ई-टिकट और आई-टिकट को लेकर नियमों में बदलाव किए हैं। इन सब दावों के बावजूद रेलवे के दलाल कोई न कोई रास्ता निकाल लेते हैं और उनके इस धंधे की बदौलत जरूरतमंद लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है।

कुछ समय पहले रेलवे ने टिकट बुकिंग के नियमों में बदलवा करते हुए बताया था कि अब कोई भी यात्री एक महीने में सिर्फ छह टिकट बुक करवा पाएगा, जबकि इससे पहले प्रत्येक लॉग इन से एक महीने में 10 टिकट बुक करवाए जा सकते थे।

रेलवे द्वारा अपनी वेबसाइट के दुरुपयोग को रोकने के लिए किए गए फैसलों के तहत आईआरसीटीसी पर एक यूज़र आईडी से एक दिन में सिर्फ दो टिकट (सुबह 8 से रात 10 बजे तक) ही मान्य हैं, जबकि तत्काल बुकिंग में भी 10 बजे से 12 बजे तक दो टिकटें ही बुक करवाई जा सकेंगी। ये सब नियम आम नागरिक पर तो कारगर होते हैं लेकिन दलालों पर कोई नियम कोई रास्ता कारगर साबित नहीं हुआ।

रेलवे ने यह नियम लागू करते समय बताया था कि टिकट बुकिंग से संबंधित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 90 प्रतिशत उपभोक्ता महीने में छह टिकट बुक करते हैं, और महज 10 प्रतिशत लोग छह से ज्यादा टिकट बुक करते हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि शेष 10 फीसदी उपभोक्ता संभवत: टिकटों की दलाली कर रहे थे। रेलवे दलालों के इतना करीब होने के बावजूद कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा पाई इसके पीछे के कारणों के बारे में रेल मंत्रालय अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया है।