जीएसटी में किए गए बड़े बदलाव, निर्यातकों और छोटी कंपनियों को मिलेगी मदद

जीएसटी को लेकर व्‍यापारियों को आ रही दिक्‍कत की खबरों के बीच शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक हुई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसकी जानकारी दी.

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मीडिया से रूबरू वित्त मंत्री अरुण जेटली

जीएसटी को लेकर व्‍यापारियों को आ रही दिक्‍कत की खबरों के बीच शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक हुई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसकी जानकारी दी. वित्त मंत्री ने कहा, 'जीएसटी को लागू किए हुए लगभग तीन महीने पूरे हो गए हैं. पहले दो महीनों की रिटर्न भी फाइल हुई हैं. इसका अलग-अलग कारोबारों पर क्या असर है और लोगों के क्या अनुभव रहे हैं, इन मुद्दों पर इस बैठक में चर्चा हुई.'

उन्‍होंने कहा, 'एक प्रमुख विषय था, छोटे कारोबारी और निर्यात के क्षेत्र पर जीएसटी के असर पर खासतौर पर चर्चा हुई. विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दर और रिवन्यू कलेक्शन पर चर्चा हुई. कलेक्शन की स्थिति इस वजह से साफ नहीं हो सकती क्योंकि यह ट्रांजेक्शन का दौर रहा है.' वित्त मंत्री ने बताया कि पहली चर्चा एक्सपोर्ट के संबंध में थी. एक्सपोर्ट पर टैक्सेशन तो लगता नहीं है. एक्सपोर्ट को दुनिया के बाजार में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है. इस मामले में एक कमेटी के सुझावों को माना गया है.

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उन्‍होंने कहा कि एक्पोर्टर की धनराशि ब्लॉक हो गई है. जिससे उसे पैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. रिफंड की व्यवस्था सामान्य होने में कुछ समय लगेगा. 10 अक्टूबर से जुलाई और 18 अक्टूबर से अगस्त के महीने का रिफंड जांच कर एक्सपोर्टरों को चेक दे दिए जाएंगे. दीर्धकालीन समाधान के लिए हर एक्सपोर्टर ई-वालेट का बनेगा और एक निश्चित धनराशि उसे एडवांस रिफंड के लिए दी जाएगी. यह ई-वालेट अप्रेल 2018 तक दे दिया जाएगा.

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वित्त मंत्री ने कहा, 'जीएसटी के पैटर्न में कलेक्शन पैटर्न है उसमें जो बड़े करदाता हैं उनसे सबसे ज्यादा कर आया है. जो मध्यम और छोटे करदाता हैं उनकी तरफ से कम या शून्य टैक्स आया है. विस्तृत अध्ययन किया है इस बारे में. जो 94-95 फीसदी टैक्स जो बड़े करदाता से आता है उसका फ्लो बढ़ता रहे. जो मध्यम और छोटे करदाता है वे टैक्स स्लैव में आते रहें.'

अरुण जेटली ने कहा, 'कंपोजिशन स्कीम का दायरा बढ़ाया गया है. अब 75 लाख के स्थान पर 1 करोड़ का जिनका टर्न ओवर है वे इसके दायरे में आएंगे. इसके तहत जो ट्रेडिंग करते हैं वे एक फीसदी टैक्स देंगे, जो निर्माता हैं उन्हें दो फिसदी और जो रेस्टोरेंट कारोबार में हैं उन्हें 5 फीसदी कर देना होगा. कंपोजिशन स्कीम में तीन महीने में रिर्टन दाखिल करना होता है. जिनकी डेढ़ करोड़ की टर्न ओवर है वो अब मासिक रिर्टन के स्थान पर तिमाही रिटर्न दाखिल कर पाएंगे. जीएसटी की काउंसिल के तहत से जो ग्रुप ऑफ मिनिस्टर होगा वह अन्य मुद्दों पर अध्ययन करके रिपोर्ट देगा. जो रेस्टोरेंट हैं और जो एक करोड़ से कम टर्न ओवर वाले हैं (5 फीसदी के दायरे में आते हैं), बड़े एसी वाले रेस्टोरेंट (18 फीसदी टैक्ट) की दरों पर फिर से विचार करने का सुझाव आया है.'

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ई-वे बिल कर्नाटक में शुरू हो चुका है. उनका अनुभव अच्छा रहा है. पहली अप्रैल से इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा. जब कोई रजिस्टर्ड डीलर किसी अन रजिस्टर्ड डीलर से माल खरीदता है तो उस दौरान आने वाली परेशानियों पर भी चर्चा की गई. सर्विस दाता जिनका टर्न ओवर 20 लाख से कम है. उन्हें इंटरस्टेट सर्विस टैक्स से हटाया गया है. 24 वस्तुओं पर टैक्स की दरों को फिर से निर्धारित किया गया है. खाकड़ा 12 से 5, बच्चों के फूड पैकेट 18 से 5, अनब्रांडेड नमकीन 12 से 5 फीसदी, अनब्रांडेड आयुर्वेदिक 18 से 5,पेपर वेस्ट 12 से 5, रबर वेस्ट, मैनमेड धागा 18 से 12 किया गया है. इसका टेक्सटाइटल उद्योग पर असर होगा. कोटा स्टोन आदि को 28 से 18, स्टेशनरी के आइट्मस 28 से 18, डीजल इंजन के पार्ट 28 से 18, ई-वेस्ट 28 से 5, सर्विस सैक्टर में जॉब वर्क 5 फीसदी के दायरे में लाए गए हैं.

लेखक NDTVKhabar News Desk
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