RBI MPC Meet: 25 या 50 bps, इस बार कितनी घटेंगी दरें? सुबह 10 बजे शुरू होगी RBI की प्रेस कॉन्फ्रेंस

RBI MPC Meet: SBI का सुझाव है कि NBFCs के लिए भी EBLR प्रणाली लागू हो, जिससे ब्याज दरों में पारदर्शिता और तेज ट्रांसमिशन सुनिश्चित हो सके.

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RBI MPC Meet: क्या रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती करेगा. सुबह 10 बजे से रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा MPC के फैसलों का ऐलान करेंगे. माना जा रहा है कि इस बार रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, क्योंकि पिछले कुछ समय से देश में महंगाई की दर 4% से नीचे बनी हुई है. ऐसे में देश के रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट को लेकर एक बड़ा फैसला देखा जा सकता है. एक्‍सपर्ट्स भी मान रहे हैं कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में कटौती पर राय बन सकती है.

SBI रिसर्च को 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का अनुमान

SBI रिसर्च का मानना है कि जून 2025 की RBI मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट में 0.50% (50 बेसिस पॉइंट) की कटौती हो सकती है. इसका मकसद वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश की आर्थिक वृद्धि को सहारा देना है. पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में कुल 1% की दर कटौती की संभावना जताई गई है.

चौथी तिमाही (Q4 FY25) में भारत की GDP ग्रोथ 7.4% रही, जो मजबूत निवेश और निजी खर्च के कारण संभव हुआ. हालांकि वैश्विक स्तर पर विकास दर धीमी पड़ रही है और IMF ने भारत की FY26 ग्रोथ को 6.3% तक घटाया है. अच्छी मानसूनी उम्मीद, कम तेल की कीमतें और खाने-पीने की चीजों के सस्ते होने से FY26 में खुदरा महंगाई 3.5% के आस-पास रहने का अनुमान है.

बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी (liquidity) यानी तरलता भरपूर है और जून के अंत तक यह ₹5.3 लाख करोड़ तक पहुंच सकती है. हालांकि, क्रेडिट ग्रोथ घटकर सिर्फ 9.8% रह गई है. निवेश की घोषणाएँ रिकॉर्ड स्तर पर हैं, लेकिन जमीन पर अमल धीमा है.

SBI का सुझाव है कि NBFCs के लिए भी EBLR प्रणाली लागू हो, जिससे ब्याज दरों में पारदर्शिता और तेज ट्रांसमिशन सुनिश्चित हो सके.

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CareEdge की रिपोर्ट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का जिक्र

CareEdge की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जून 2025 में अपनी मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती कर सकता है. इसकी वजह है महंगाई में गिरावट और देश की आर्थिक स्थिति का मजबूत बने रहना.

अप्रैल में खुदरा महंगाई (CPI) गिरकर 3.2% पर आ गई, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे कम है. खाने-पीने की चीजों की कीमतें घटने से महंगाई कम हुई है. कोर महंगाई भी 4.1% पर स्थिर है. FY26 में CPI महंगाई औसतन 4.2% रहने का अनुमान है, जिससे RBI को ब्याज दरें घटाने का मौका मिल सकता है.

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में देश की GDP ग्रोथ 7.4% रही, जिससे पूरे साल की ग्रोथ 6.5% रही. कृषि, निर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में अच्छी बढ़त हुई, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग और निजी निवेश में सुस्ती बनी हुई है.

बैंकिंग सिस्टम में तरलता (liquidity) बनी हुई है, जिससे RBI की दरों में कटौती का असर आसानी से पहुंचेगा. हालांकि, वैश्विक तनाव और निवेश की अनिश्चितता जैसे बाहरी जोखिम अब भी चिंता का कारण हैं. RBI से आगे भी नरम रुख अपनाने की उम्मीद है.

'ब्याज दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों तक आसानी से पहुंचे'

दीपक अग्रवाल, चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (Debt), कोटक महिंद्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में भारत की असली GDP ग्रोथ 7.40% रही, जो पिछली तिमाही के 6.40% से ज्यादा है. पूरे वित्त वर्ष की GDP ग्रोथ 6.50% रही, जो सरकार के अनुमान के मुताबिक ही है. अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर (हेडलाइन इंफ्लेशन) 3.16% रही, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है.

दीपक ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों तक आसानी से पहुंच सके, इसके लिए जरूरी है कि सिस्टम में कैश की कोई कमी न हो. इसी वजह से RBI ने साल की शुरुआत से ही सिस्टम में नकदी बढ़ाना शुरू किया और 31 मई 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में ₹2.33 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी मौजूद थी.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की GDP ग्रोथ को अगले साल यानी FY26 में 6.2% रहने का अनुमान जताया है, जो दुनिया की बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है.

दीपक ने कहा कि इन सभी आंकड़ों को देखते हुए ऐसा हो सकता है कि MPC रेपो रेट और स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) के बीच का अंतर 25 बेसिस पॉइंट से बढ़ाकर 50 बेसिस पॉइंट कर दे. इसका मतलब यह होगा कि कुल 50 बेसिस पॉइंट की नीतिगत ढील के साथ 25 बेसिस पॉइंट की दर में कटौती संभव है.

इसके अलावा, उन्होंने अक्टूबर 2025 तक एक और 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की संभावना भी जताई है.

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