Exclusive: रुचिर शर्मा बोले- तेज ग्रोथ कर सकता है भारत लेकिन रोजगार के मोर्चे पर ये कदम उठाना जरूरी!

उन्‍होंने कहा, 'भारत की विकास की गति तेज है, लेकिन इसमें रोजगार नहीं बन रहे तो तो ये चिंता की बात है.'

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अपनी किताब 'What Went Wrong With Capitalism' को लेकर चर्चा में बने हुए रॉकफेलर इंटरनेशनल के चेयरमैन रुचिर शर्मा का कहना है कि अमेरिका आज एक ऐसा 'खुला बाजार' बन गया है, जहां पूंजीवाद तेजी से बढ़ता जा रहा है. उन्‍होंने कहा, 'ये आपको चौंकाता है कि उन्‍होंने मौजूदा इकोनॉमिक सिस्‍टम में भरोसा क्‍यों खो दिया है और इस बारे में क्‍या किया जा सकता है.'

NDTV Profit के स्‍पेशल शो 'Icons with Ramesh Damani' में मार्केट दिग्गज रमेश दमानी के साथ बातचीत में रुचिर शर्मा ने भारत के आर्थिक उभार के साथ-साथ अवसरों और चुनौतियों पर बात की.

उन्‍होंने कहा, 'भारत की विकास की गति तेज है, लेकिन इसमें रोजगार नहीं बन रहे तो तो ये चिंता की बात है. जब आप कम रोजगार के साथ हाई इकोनॉमिक ग्रोथ कर रहे होते हैं तो ये स्वाभाविक रूप से शानदार प्रोडक्टिविटी का कारण होता है, लेकिन इसके दूसरे नतीजे भी होते हैं.'

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भारत के विषय में उन्‍होंने इस आलोचना को स्वीकार किया कि देश की आर्थिक ग्रोथ तो हाई रही है, लेकिन रोजगार पैदा करने में हम पिछड़ रहे हैं. ये बड़े चिंता का विषय है.

अपने दम पर उड़ान भर रहा भारत

रुचिर शर्मा का कहना है कि दुनिया में ज्यादातर इमर्जिंग मार्केट्स विदेशी पूंजी पर निर्भर हैं, लेकिन भारत घरेलू निवेशकों के दम पर है. उन्‍होंने कहा, 'कई उभरते बाजार अपनी इकोनॉमी को चलाने के लिए विदेशी पूंजी पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, जबकि भारत ने कैपिटल इनफ्लो के लिए एक मजबूत घरेलू बाजार विकसित किया है.'

शर्मा ने कहा कि इससे भारतीय शेयर मार्केट की ग्रोथ को बढ़ावा मिला है और दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स की तुलना में भारत, प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है.' उनके अनुसार, इकोनॉमी का सही राह पर होना, अर्निंग ग्रोथ स्थिर होना और घरेलू फंड का स्थिर प्रवाह होना, भारतीय बाजारों की मदद कर रहा है.

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शर्मा ने कहा, 'कोई भी अन्य उभरता हुआ बाजार 'सेक्‍टर्स और स्‍टॉक्‍स' की एक ही किस्म मुहैया नहीं कराता है, भारत के मामले में ये सबसे अच्छी बात है. शेयरों की डायवर्सिटी के साथ भारत की तरह कोई दूसरा उभरता हुआ बाजार नहीं है.'

'हमें अभी तय करना है लंबा रास्‍ता'

ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर रुचिर शर्मा ने कहा, 'भारत ने पिछले 30 से 40 वर्षों में बाजार-उन्मुख (Market Oriented), पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाकर महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन देश को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है.'

उन्होंने कहा, 'भारत अभी भी आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन हाई ग्रोथ रेट हासिल करने के लिए हमें ज्‍यादा आर्थिक स्वतंत्रता अपनाने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्‍स में भारत का स्‍थान काफी नीचे है, जो इसके ग्रोथ क्षमता को सीमित कर रहा है.'

'रोजगार के लिए मैन्‍युफैक्‍चरिंग पर हो जोर'

रुचिर शर्मा ने मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में सुधार के महत्व पर भी ध्यान दिया. उन्होंने कहा कि भारत की GDP में मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर का योगदान 14-15% के आसपास स्थिर हो गया है, जो सफल पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत नीचे है.

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उन्होंने कहा, 'बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिए जरूरी है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर बेहतर प्रदर्शन करे. हम GDP में इसके योगदान को पूर्वी एशियाई देशों की तरह 25% तक नहीं पहुंचा सकते हैं, लेकिन हमें मौजूदा 14-15% से अधिक का लक्ष्य रखना चाहिए.'

शर्मा ने कहा कि भारत, व्यापार करने के लिए एक चैलेंजिंग प्‍लेस बना हुआ है. उन्‍होंने कहा कि जिस तरह के रेगुलेटरी सिस्‍टम और सरकारी इंटरफेस से आपको निपटना पड़ता है, वो अभी भी बहुत निराशाजनक है.

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