नोटबंदी के असर से जीडीपी वृद्धि दर 10 प्रतिशत तक पहुंचेगी : वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल

बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय को गरीबोन्मुखी और कालाधन के खिलाफ जंग करार देते हुए वित्तराज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि इस निर्णय से देश में आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ेगा और आने वाले समय में जीडीपी वृद्धि दर 2 प्रतिशत बढ़कर 10 प्रतिशत के स्तर तक पहुंचेगी.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय को गरीबोन्मुखी और कालाधन के खिलाफ जंग करार देते हुए वित्तराज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि इस निर्णय से देश में आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ेगा और आने वाले समय में जीडीपी वृद्धि दर 2 प्रतिशत बढ़कर 10 प्रतिशत के स्तर तक पहुंचेगी.

मेघवाल ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से अपील की कि नोटबंदी पर सदन में चर्चा करें, सकारात्मक सुझाव दें और सरकार इन सुझावों पर खुले मन से विचार करने को तैयार है क्योंकि यह कदम गांव, गरीब, किसानों और आम लोगों के हित में है.

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘‘कुछ अर्थशास्त्रियों ने नोटबंदी के बाद दो तिमाही में जीडीपी में कुछ मंदी आने की बात कही है. मेरा मानना है कि इस फैसले से आने वाले समय में जीडीपी वृद्धि दर में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी आयेगी और यह (जीडीपी वृद्धि दर) 10 प्रतिशत तक जाएगी.’’ उन्होंने कहा कि अभी कई ऐसे धन संबंधी लेनदेन और कार्य हैं जो आर्थिक गतिविधियों के रूप में नहीं लिये जाते हैं. नोटबंदी के फैसले के पूरी तरह लागू होने के फलस्वरूप आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ेगा और इसके कारण आने वाले समय में जीडीपी में 2 प्रतिशत की वृद्धि होगी. ऐसा हमारा अनुमान है.

नोटबंदी का फैसला लागू करने को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा ‘‘बहुत बड़ा कुप्रबंधन’’ और ‘कानूनी लूट खसोट’ बताये जाने पर कड़ा एजराज व्यक्त करते हुए मेघवाल ने कहा कि मनमोहन सिंह, भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार से लेकर रिजर्व बैंक के गर्वनर, वित्तमंत्री और 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे. सिंह ने इतने वर्षों तक आरबीआई, वित्त मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय जैसे अहम पदों का दायित्व संभाला. ‘‘मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि इतने दफा इन ‘मान्यूमेंट’ में बैठने के बाद वे इन्हें ठीक क्यों नहीं कर पाये.’’ उन्होंने कहा कि 86 प्रतिशत करेंसी जिन्हें अमान्य किया गया है, वह गरीब आदमी के पास तो नहीं थी. अगर यह मुद्रा सकरुलेशन में वापस आती है, तो इसे लूट कैसे कहा जा सकता है.

मेघवाल ने कहा, ‘‘लूट तो 2जी घोटाला, कोयला घोटाला, राष्ट्रमंडल घोटाला था जिसमें कई लाख करोड़ रुपये की लूट हुई थी.’’

मेघवाल ने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय का आमतौर पर हर क्षेत्र के लोगों ने स्वागत किया है. युवा वर्ग प्रधानमंत्री के इस निर्णय के साथ खड़ा है. गांव का गरीब आदमी मोदीजी की इस मुहिम के साथ है. वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि लोगों को लगता है कि यह स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा है, जैसे स्वच्छ भारत अभियान में साफ सफाई का कार्य होता है.. उसी प्रकार नोटबंदी के निर्णय से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में व्यवस्था में सुधार और सफाई का कार्य होगा.

नोटबंदी के निर्णय को लागू करने को लेकर विपक्ष समेत कुछ वर्गों की आलोचना के बारे में एक सवाल के जवाव में मेघवाल ने कहा कि 8 नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की थी तब उन्होंने कहा था कि प्रारंभ में कुछ परेशानी पेश आयेगी और सभी से सुझाव भी मांगा था. तब से लेकर मीडिया, सोशल मीडिया समेत विभिन्न पक्षों से सुझाव आए और इन सुझावों के आधार पर 40 परिपत्र सरकार ने जारी किये और इसके अनुरूप सुविधाएं प्रदान की.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार का रूख सभी तरह के सुझावों के प्रति खुला है. कोई भी सकारात्मक सुझाव आए तो हम उस पर खुले मन से विचार करने को तैयार हैं और ऐसा कर भी रहे हैं.’’ मेघवाल ने कहा कि सरकार लोगों की परेशानियों को दूर करने की पहल कर रही है और अगले 5-7 दिन में नोटों का प्रवाह बढ़ने के साथ ही दिक्कतें भी कम हो जाएंगी.

नोटबंदी के फैसले के बारे में आधी अधूरी तैयारी के विपक्ष के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदीजी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. सेंट्रल हॉल में उन्होंने अपने पहले भाषण में कहा था कि यह सरकार गरीबों को समर्पित है. इसके बाद कालाधन के खिलाफ कदमों को आगे बढ़ाया. कालाधन पर एसआईटी का गठन किया, सख्त कानून बनाया, आईडीएस योजना पेश की, बेनामी सम्पत्ति के बारे में पहल की. यह सब तैयारी का ही हिस्सा था.

मेघवाल ने कहा कि अगर पहले से ही एटीएम को नये नोटों के अनुकूल बनाते या बाजार में नये नोट जारी करने के बाद घोषणा करते तो गोपनीयता नहीं रहती और इसके पीछे जो मकसद था, वह पूरा नहीं होता. ये बातें बाद में होती हैं. नोटबंदी पर चर्चा को लेकर संसद में बने गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि 16 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले 15 नवंबर को सर्वदलीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि नोटबंदी पर चर्चा हो. इसमें नियमों की बात सामने नहीं आई थी. राज्यसभा में इस बारे में चर्चा शुरू भी हो गई.

उन्होंने कहा कि 17 नवंबर को उनको (विपक्ष) लगा कि उनके तर्कों में दम नहीं है और सरकार के तर्क ज्यादा प्रभावी हैं. तब उन्होंने मांग शुरू कर दी कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और चर्चा में बैठें, जवाब दें. इसके साथ ही लोकसभा में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी सदस्यों ने नियम 56 के तहत चर्चा की मांग की.

मेघवाल ने कहा, ‘‘हम चर्चा के लिए तैयार हैं. हम चाहते हैं कि कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यह सदन बिखरा हुआ नजर नहीं आए और मतविभाजन से सदन बिखरा हुआ नजर आयेगा. जब सदन में चर्चा के लिए प्रस्ताव आयेगा कि नोटबंदी कालेधन के खिलाफ है.. तब क्या कोई इसका विरोध कर पायेगा?’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक बात नोटबंदी से जुड़े विभिन्न आयमों के लागू करने को लेकर है, तो लोगों को कुछ परेशानियां पेश आ रही हैं. और कोई इससे इंकार नहीं कर सकता है. हम चर्चा के लिए तैयार हैं. विपक्ष इस पर चर्चा करे, सकारात्मक एवं सार्थक सुझाव दें.. हम खुले मन से तैयार है.

उन्होंने कहा कि संसद में चर्चा से भागना और प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग करना..उनका (विपक्ष) कुतर्क है जिससे लोगों की समस्याएं दूर नहीं होंगी.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

लेखक Bhasha
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