1 जून से कारोबारियों और कंपनियों पर गूगल टैक्स लगने जा रहा है। यह वह टैक्स है जिसे लेकर बजट में ही प्रावधान कर दिया गया था। इस टैक्स के बारे में विस्तृत रूप से समझाते हुए संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ विराग गुप्ता बताते हैं कि इंटरनेट में भारतीय व्यापारियों या कंपनियों के विज्ञापन या अन्य सेवाओं, जिसमें सेवा प्रदात्ता कंपनी विदेशी हो, पर कर प्रावधानों को सुसंगत बनाने के लिए इस बार के वित्तीय बजट में जो टैक्स लगाया गया है, उसे आम भाषा में गूगल टैक्स कहा जा रहा है। हालांकि इसे तकनीकी रूप से इक्वालाइजेशन लेवी का नाम दिया गया है। इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने नोटिफाई किया है। विराग गुप्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सम्मुख गूगल फेसबुक और अन्य इंटरनेट कंपनियों द्वारा भारत में टैक्स पेमेंट की याचिका पर बहस की थी।
चूंकि अधिकांश इंटरनेट के व्यापार व विज्ञापन गूगल के माध्यम से होते हैं इसलिए बोलचाल में इसे गूगल टैक्स कहा जा रहा है। इसके तहत देश के कारोबारियों/कंपनियों द्वारा विदेशी ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडरों, जिनमें कि ट्विटर, फेसबुक, गूगल और याहू जैसी कंपनियां शामिल हैं, आदि को दिए ऑनलाइन ऐड के लिए भुगतान की गई राशि पर 6% इक्वलाइजेशन लेवी वसूला जाएगा।
भविष्य में इसे लेकर हो सकती हैं कठिनाई...
हालांकि यह केवल तभी चुकाना होगा जब पेमेंट की राशि पूरे वित्तीय वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक हो। ये लेवी पूरी तरह से बिजनस टु बिजनस (B2B) ट्रांन्जैक्शन्स पर ही लागू होगा। विराग गुप्ता के मुताबिक, भविष्य में चलकर इसे लेकर ये तीन कठिनाइयां हो सकती हैं। पहली, इस टैक्स को लागू करने में एक बड़ी दिक्कत यह आ सकती है कि विदेशी कंपनियां अपने बिजनस डाटा संभवत: शेयर न करें। दूसरी, टैक्स की दर उन करों से कम है जो भारतीय कारोबारियों की इनकम पर लगाया जाता है। तीसरी दिक्कत यह है कि नोटिफिकेशन में जिस इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर की बात की गई है, उसे अभी उचित और पूरी तरह से कानूनी जामा नहीं पहनाया जा सका है।
यहां बता दें कि पिछले महीने, इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने कहा था कि ऑनलाइन ऐडवर्टाइजेमेंट से होने वाली आय पर विदेशी कंपनियों पर यदि टैक्स देना पड़ेगा तो इससे भारतीय तकनीकी स्टार्ट-अप्स के 'बिजनस करने की लागत में काफी ज्यादा इजाफा' हो जाएगा।
(पीटीआई से भी कुछ इनपुट)