टैक्सटाइल सेक्टर में बिज़नेस करने का तरीका बदल देगा जीएसटी

जीएसटी से होने वाले लाभ-हानि का आकलन सभी उद्योगों ने शुरू कर दिया है. टैक्सटाइल उद्योग में जीएसटी को लेकर आशा जगी है. सिंगल विंडो होने से अलग-अलग करों की झंझट और काम का बोझ काफी कम होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन साथ ही जीएसटी के धरातल पर आने और इसके व्यवहारिक स्वरूप को लेकर आशकांए भी हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

जीएसटी से होने वाले लाभ-हानि का आकलन सभी उद्योगों ने शुरू कर दिया है. टैक्सटाइल उद्योग में जीएसटी को लेकर आशा जगी है. सिंगल विंडो होने से अलग-अलग करों की झंझट और काम का बोझ काफी कम होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन साथ ही जीएसटी के धरातल पर आने और इसके व्यवहारिक स्वरूप को लेकर आशकांए भी हैं.

मौजूदा टैक्स वसूली प्रक्रिया बेहद जटिल
बीते 25 सालों से गारमेंट का कारोबार कर रहे अक्षय करण को यह मानने में कोई हिचक नहीं कि मौजूदा टैक्स वसूली की प्रक्रिया बेहद उलझी और जटिल है. मिसाल के तौर पर जब सबसे पहले कच्चा माल फरीदाबाद पहुंचता है तो राज्य सरकार उस पर चुंगी वसूलती है. फिर कच्चे माल की खरीद पर 12.5% एक्साइज़ ड्यूटी और वेट देना पड़ता है. उसके बाद कच्चे माल के ट्रांसपोर्ट पर सर्विस टैक्स और कुछ कच्चे सामान के आयात पर कस्टम्स ड्यूटी लगती है. और फिर स्थानीय बाजार में तैयार माल की बिक्री पर एक्साइज़ ड्यूटी और वेट देना पड़ता है।

अब निगाहें जीएसटी के जमीन पर आने वाले स्वरूप पर
अब जीएसटी लागू होने से टैक्सटाइल सेक्टर में बिज़नेस करने का तरीका बदल जाएगा. फरीदाबाद के अंबुजा ओवरसीज़ कंपनी के सीईओ अक्षय करण ने एनडीटीवी से कहा, "अभी हमें 6 जगहों पर टैक्स देना पड़ता है. इसके लिए छह कर्मचारी रखने पड़ते हैं जो इसी काम को देखते हें. जीएसटी लागू करने से काम का बोझ कम होगा. अब सबसे महत्वपूर्ण होगा कि जीएसटी को जमीन पर कितने अच्छे तरीके से लागू किया जाता है."

सिंगल विंडो से टैक्स देना होगा काफी आसान
दरअसल अब जीएसटी से नफा-नुकसान का आकलन देश की हर छोटी-बड़ी फैक्टरी में शुरू हो गया है. गारमेंट एक्सपोर्टर मानते हैं कि इससे ग्लोबाल बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. अंबुजा ओवरसीज़ कंपनी की डायरेक्टर अनुपमा कहती हैं "अभी लोग टैक्स से भागते थे. अब सिंगल विंडो होने से टैक्स देना काफी आसान हो जाएगा."

अफसरों की मानसिकता में बदलाव आएगा?
लेकिन मौजूदा व्यवस्था का खौफ अभी खत्म नहीं हुआ है. सवाल अफसरशाही को लेकर है जो हमेशा से छोड़े-बड़े उद्यमियों को परेशान करती रही है. अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था आजादी के बाद पहली बार बदली जा रही है, लेकिन क्या अफसरों के काम करने के तरीके और मानसिकता में भी बदलाव आएगा?

कर वसूली के तरीके भी बदलें
जीएसटी को कारगर तरीके से लागू करने के लिए जरूरी होगा कि पिछले सात दशक से मौजूदा टैक्स व्यवस्था के काम करने के तरीके को भी बदला जाए. सवाल अफसरशाही की मानसिकता को लेकर है, जिसके काम करने के तरीके पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. अंबुजा ओवरसीज़ कंपनी के डायरेक्टर निर्भय सैनी कहते हैं "अधिकारियों को टैक्स कलेक्ट करने की व्यवस्था जल्दी बदलनी होगी और अपनी मानसिकता भी."

अब अगली चुनौती जीसीटी के लिए एक पारदर्शी, ऑनलाइन सॉफ्टवेयर बैकअप, अधिकारियों की ट्रेनिंग और जरूरी बुनियादी ढांचे के दूसरे पहलुओं को जल्द से जल्द तैयार करने की होगी.

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