सहारा इंडिया, सुब्रत रॉय को विज्ञापन मामले में नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सहारा इंडिया परिवार समूह एवं इसके प्रमुख सुब्रत राय द्वारा प्रमुख समाचार पत्रों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ प्रकाशित विज्ञापन को कानून विरुद्ध बताने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को सहारा समूह और सुब्रत राय को नोटिस जारी किया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ  पीठ ने सहारा इंडिया परिवार समूह एवं इसके प्रमुख सुब्रत राय द्वारा प्रमुख समाचार पत्रों में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के खिलाफ प्रकाशित विज्ञापन को कानून विरुद्ध बताने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को सहारा समूह और सुब्रत राय को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति उमा नाथ सिंह और न्यायमूर्ति डॉ. सतीश चंद्रा की पीठ ने यह नोटिस लखनऊ निवासी भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अमिताभ ठाकुर एवं उनकी सामाजिक कार्यकर्ता पत्नी नूतन ठाकुर की तरफ से दायर जनहित याचिका पर जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।

विगत 20 मार्च को दायर की गई इस याचिका में कहा गया है कि निवेशकों के हितों और शेयर बाजार पर नियंत्रण रखने के लिए विधि द्वारा स्थापित संस्था सेबी के खिलाफ सहारा इंडिया परिवार समूह एवं सुब्रत राय द्वारा 17 मार्च, 2013 को प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से स्पष्टतया आपत्तिजनक बातें कही गईं। विज्ञापन में न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल के कार्यों की भी निंदा की गई है, जबकि सेबी और न्यायमूर्ति अग्रवाल मात्र अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। साथ ही प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन भी है।

याचिका में कहा गया है कि विज्ञापन के माध्यम से इस प्रकार खुलेआम आपत्तिजनक बातें करना प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आपराधिक कृत्य और कंपनी कानून का उल्लंघन प्रतीत होता है।

याचिका में ठाकुर दंपति ने प्रार्थना की है कि ऐसे सभी विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए, जो किसी संवैधानिक अथवा विधिक संस्था की इस प्रकार विज्ञापन के माध्यम से निंदा करें। साथ ही इस तथ्य की जांच कराकर सहारा इंडिया व इसके प्रमुख सुब्रत राय के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

गौरतलब है कि सेबी ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय की गिरफ्तारी और उन्हें देश छोड़कर बाहर जाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की। सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपया लौटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर सेबी ने यह अर्जी दायर की थी। सेबी ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि उसे सहारा समूह के प्रवर्तक सुब्रत राय और दो पुरुष निदेशकों अशोक राय चौधरी तथा रवि शंकर दुबे को गिरफ्तार करने और हिरासत में सिविल जेल में रखने का कदम उठाने की अनुमति दी जाए।

वैसे, प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सहारा समूह की दो कंपनियों को निवेशकों का धन लौटाने की अवधि नवंबर से बढ़ाकर फरवरी के प्रथम सप्ताह कर दी थी। बाद में न्यायालय ने उसे और समय देने से इनकार कर दिया था। इन दोनों कंपनियों के साथ ही सुब्रत राय पर शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के समक्ष न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही चल रही है। इस पीठ ने निवेशकों का धन लौटाने के न्यायिक आदेश का पालन नहीं करने के कारण 6 फरवरी को सेबी को सहारा की दोनों कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और उसकी संपत्ति कुर्क करने की छूट दे दी थी।

(इनपुट्स भाषा से भी)

लेखक NDTV Profit Desk
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