HDFC बैंक ने अपने मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO शशिधर जगदीशन के खिलाफ लीलावती ट्रस्ट और इसके ट्रस्टीज द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. बैंक ने शनिवार रात एक बयान जारी कर रहा कि वो अपने CEO के साथ खड़े हैं और उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कानूनी रास्ता अपनाएंगे.
आरोप क्या हैं?
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने शशिधर जगदीशन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. ट्रस्ट ने जगदीशन की निलंबन और कानूनी कार्रवाई की मांग की है. आरोप है कि ट्रस्ट के एक पूर्व सदस्य ने जगदीशन को 2.05 करोड़ रुपये दिए थे, जिसका मकसद ट्रस्ट के एक मौजूदा सदस्य के पिता को परेशान करना था. ट्रस्ट का दावा है कि ये लेन-देन एक हाथ से लिखी डायरी में दर्ज है, जो मौजूदा ट्रस्टीज को मिली है.
HDFC बैंक का जवाब
HDFC बैंक ने इन आरोपों को 'बुरी नीयत' और 'झूठा' बताया है. बैंक का कहना है कि ये मामला लीलावती ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रशांत मेहता और उनके परिवार द्वारा बैंक से लिए गए पुराने कर्ज की वसूली से जुड़ा है, जो अभी तक नहीं चुकाया गया.
बैंक ने कहा कि पिछले दो दशकों से कर्ज वसूली और कानूनी कार्रवाई के दौरान प्रशांत मेहता और उनके परिवार ने कई बार झूठे और परेशान करने वाले मुकदमे दायर किए हैं.
बैंक ने अपने बयान में कहा, "प्रशांत मेहता और उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट सहित हर स्तर पर अपनी कानूनी लड़ाई हारी है. अब वो बैंक और इसके MD व CEO को डराने और परेशान करने के लिए व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं, ताकि कर्ज वसूली की प्रक्रिया को रोका जा सके."
बैंक ने CEO का बचाव किया
HDFC बैंक ने कहा कि उसने इस मामले में पूरी कानूनी सलाह ली है और अपने MD व CEO की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा.
बैंक ने कहा, "हमें भरोसा है कि हमारी न्यायिक प्रक्रिया लीलावती ट्रस्ट और इसके अधिकारियों की बुरी नीयत और छवि खराब करने की मंशा को पहचानेगी."
दरअसल, लीलावती ट्रस्ट और HDFC बैंक के बीच ये विवाद पुराना है. बैंक का कहना है कि ट्रस्ट और इसके ट्रस्टीज ने लंबे समय से कर्ज चुकाने में आनाकानी की है, जिसके चलते बैंक को कानूनी कार्रवाई करनी पड़ी. इस बीच, ट्रस्ट ने नए आरोपों के जरिए बैंक पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जिसे बैंक ने पूरी तरह खारिज किया है.