पिछले दो साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री करीब 507% बढ़ी, सरकार से सवाल और बजट का इंतजार

इस रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब हम लेकर आए हैं. देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री तेज़ी से बढ़ रही है. सोसाइटी ऑफ़ मनुफक्चरर्स ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुताबिक 2020-21 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, इलेक्ट्रिक कारों और इलेक्ट्रिक बसों की कुल बिक्री 1,39,060 थी जो 2022-23 में 9 जनवरी, 2023 तक बढ़कर 8,44,192 पहुंच गयी. यानी पिछले दो साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री करीब 507% से ज्यादा बढ़ी है यानी पांच गुना से ज्यादा!

इनलेक्ट्रिक कार की मांग और रेंज भारत में बढ़ती जा रही है.

देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री अप्रत्याशित तरीके से बढ़ती जा रही है. साथ ही यह सवाल भी कि क्या भारत में इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो चुका है? अगर आपके पास केवल एक कार खरीदने का साधन हो तो क्या आप निश्चिन्त हो इलेक्ट्रिक कार खरीद सकते हैं? या आपके मन में ये डर है कि आप कार को चार्ज कहां और कैसे करेंगे? सर्विस सेंटर आसपास है या नहीं? इस रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब हम लेकर आए हैं. देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री तेज़ी से बढ़ रही है. सोसाइटी ऑफ़ मनुफक्चरर्स ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुताबिक 2020-21 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, इलेक्ट्रिक कारों और इलेक्ट्रिक बसों की कुल बिक्री 1,39,060 थी जो 2022-23 में 9 जनवरी, 2023 तक बढ़कर 8,44,192 पहुंच गयी. यानी पिछले दो साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री करीब 507% से ज्यादा बढ़ी है यानी पांच गुना से ज्यादा!

लेकिन, अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती संख्या के लिए देश में जरूरी सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है? इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए जरूरी चार्जिंग स्टेशन, उनकी सुरक्षा के लिए उपाय और सुरक्षा मानकों से लेकर उनकी कीमत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.  क्या देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए सपोर्ट ढांचा तैयार है? क्या EV का इकोसिस्टम तैयार हो गया है? लोगों के मन में यह भी सवाल है कि क्या पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन हैं? क्या बैटरी चेंज करना. खरीदना आसान होगा? क्या इलेक्ट्रिक गाड़ी चलाने पर खर्च ज्यादा होगा?

अजय शर्मा, सेक्रेटरी जनरल, सोसाइटी ऑफ़ मनुफक्चरर्स ऑफ़ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इलेक्ट्रिक गाड़ी को लेकर कई चैलेंज हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर हमें विशेष चिंता है कि अगर हम इलेक्ट्रिक गाड़ी को शहर से बाहर लेकर जाएं तो चार्जिंग के लिए क्या करना होगा? हमने सरकार के साथ बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी पर चर्चा की है. उम्मीद है कि सरकार जल्दी ही बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी की घोषणा करेगी. बैटरी मैन्युफैक्चरिंग का भी मुद्दा है. हमारे देश में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए पॉलिसी बनना जरूरी है. लिथियम आयन जो रॉ मैटेरियल है उसे सोर्स करने के लिए भी पॉलिसी होनी चाहिए. हमको लिथियम को बाहर के देशों से ज्यादा इंपोर्ट करना पड़ता है.

मारुति सुज़ूकी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर फाइनेंस और उद्योग संघ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री की टैक्सेशन कमिटी के सदस्य डीडी गोयल कहते हैं कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर को और बढ़ाना जरूरी होगा. इसके लिए सरकार को टैक्स से जुड़े कुछ मुद्दों को एड्रेस करना होगा. 

ऑटोमोबाइल सेक्टर के अलग-अलग सेगमेंट में अलग-अलग टैक्स रेट है. उदाहरण के लिए तैयार इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है जबकि बैटरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस तरह की जो विषमताएं हैं अलग-अलग पार्ट पर अलग-अलग टैक्स है. सरकार को इसे दूर करना चाहिए.
मारुति सुजुकी लि. के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर वित्त और कर पर सीआईआई की नेशनल कमिटि के सदस्य डीडी गोयल ने एनडीटीवी से कहा, इसको हमारी भाषा में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर बोलते हैं. यानी इनपुट पर टैक्स रेट ज्यादा है और आउटपुट पर टैक्स रेट कम है. कुछ-कछ जगह है जहां पर इनपुट पर रेट ज्यादा है जिस पर एसोसिएशन (Society of Indian Automobile Manufacturers) ने रिक्वेस्ट किया है कि जिन  ऑटो पार्ट्स पर टैक्स रेट अगर ज्यादा है तो उसे कम किया जाए जिससे इनपुट क्रेडिट का एकुमुलेशन ना हो". 

गोयल कहते हैं कि बजट पेश होने वाला है. सरकार को ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे कस्टमर ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां खरीदें. इसके लिए जरूरी होगा कि कस्टमर के पास डिस्पोजेबल इनकम हो. गोयल ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार को कस्टमर्स पर ओवरऑल टैक्स बर्डन कम करना चाहिए. हर साल महंगाई बढ़ती रहती है. टैक्स में छूट की जो सीलिंग है वह महंगाई रेट के मुताबिक बढ़ती रहें यह जरूरी है.

लेखक NDTV Profit Desk
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