'स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाएं नहीं हैं भारत और चीन'

'वाल स्ट्रीट जर्नल' और 'द हेरीटेज फाउंडेशन' की ओर से वर्ष 2013 के लिए जारी दुनिया की स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत का 119वां और चीन का 136वां स्थान है।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हालांकि दुनिया की सर्वाधिक स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाएं हैं, लेकिन भारत और चीन का नाम स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाओं में शुमार नहीं है। 'वाल स्ट्रीट जर्नल' और 'द हेरीटेज फाउंडेशन' की ओर से वर्ष 2013 के लिए जारी दुनिया की स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत का 119वां और चीन का 136वां स्थान है।

'वाल स्ट्रीट जर्नल' और 'द हेरीटेज फाउंडेशन' की गुरुवार को जारी स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाओं की सूची में हांगकांग लगातार 19वीं बार शीर्ष स्थान पर है, जबकि उत्तर कोरिया सबसे निचले स्थान पर है।

सूची में हालांकि एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र अर्थव्यवस्थाओं का केंद्र बताया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि यहां दीर्घकालिक आर्थिक विकास का आधार प्रभावी कार्यात्मक कानूनी ढांचे के बगैर अब भी अस्थाई है।

सूची के सम्पादकों के अनुसार, "बाजारोन्मुखी सुधार के साथ विकास अनियमित है और यथास्थिति बहाल रखने वालों के राजनीतिक दबाव में कभी-कभी इन्हें वापस भी लेना पड़ता है।"

सूची में हांगकांग के बाद दूसरे स्थान पर सिंगापुर, तीसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया और चौथे स्थान पर न्यूजीलैंड है, जबकि अमेरिका का इसमें 10वां स्थान है। सूची तैयार करने के लिए विभिन्न देशों का अध्ययन चार प्रमुख दृष्टिकोण- कानून के शासन, नियामक प्रभाव, सरकार की सीमा तथा खुले बाजार के संदर्भ में किया गया। सूची में 177 देशों को शामिल किया गया है।

यूरोप को दूसरा सर्वाधिक स्वतंत्र क्षेत्र बताया गया है तो उत्तरी अमेरिका को आर्थिक स्वतंत्रता की दृष्टि से सर्वाधिक बेहतर क्षेत्र बताया गया है।

इसमें 32 देशों की आर्थिक स्वतंत्रता की स्थिति में सुधार बताया गया है तो केवल नौ देशों द्वारा आर्थिक स्वतंत्रता खोने की बात कही गई है।

यूरोप में स्विट्जरलैंड को एकमात्र 'स्वतंत्र' अर्थव्यवस्था बताया गया है, जबकि यूक्रेन तथा बेलारुस की गिनती 'दबावयुक्त' अर्थव्यवस्थाओं में की गई है।

लेखक NDTV Profit Desk
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