सब्जी समेत विभिन्न खाद्य उत्पादों के महंगा होने से थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह चालू वित्तवर्ष में इसका उच्चतम स्तर है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इस वर्ष सितंबर में 6.46 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 7.32 प्रतिशत थी। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 18.19 प्रतिशत रही।
इसी सप्ताह, जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 10.1 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो सात महीने का उच्चतम स्तर है। इस साल अप्रैल से ही थोक मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
अक्टूबर में सब्जियों की थोक कीमतें एक साल पहले की तुलना में 78.38 प्रतिशत ऊंची रही, जबकि प्याज 278.21 प्रतिशत महंगा रहा। अंडा, मांस और मछली जैसे प्रोटीनयुक्त खाद्य उत्पादों की महंगाई दर अक्टूबर में 17.47 प्रतिशत रही, जबकि इससे पिछले माह इस वर्ग की मंहगाई दर 13.37 प्रतिशत थी।
अक्टूबर में मोटे अनाजों व चावल के थोक भाव थोड़े नरम हुए। अक्टूबर में गेहूं 7.88 प्रतिशत ऊंचा बिका, जबकि सितंबर में इसकी कीमत सालाना आधार पर 5.9 प्रतिशत ऊंची थी। इस बार अक्टूबर में विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति 2.5 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर में यह 2.03 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए मौद्रिक नीति की पिछली दो समीक्षाओं में रेपो दर में दो बार बढ़ोतरी की। रेपो वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के लिए पैसा उधार देता है।