फाइनैंशल प्लानर कहते हैं कि किसी भी नौकरीशुदा व्यक्ति अपने पास कम से कम 6 से 12 महीने के खर्चों जितना बचत के तौर पर रखना चाहिए. यह किसी भी प्रकार की इमर्जेंसी सिचुएशन या फिर महीनेवार सैलरी के आने में बाधा पहुंचने की दिशा में काम आते हैं. जॉब मार्केट में छंटनी की घटनाओं और खबरों के बीच यह बहुत जरूरी हो गया है कि व्यक्ति अपने लिए कुछ बचत इस परिदृश्य को ध्यान में रखकर भी करे.
कुछ इंश्योरेंस प्रोवाइडर जॉब लॉस कवर भी प्रदान करते हैं. यह आपको जॉब लॉस की दशा में इनकम रिप्लेसमेंट यानी प्रति माह की आय सुनिश्चित करता है. पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के हेड ध्रुव सरीन कहते हैं- ये आम तौर पर होमलोन के साथ आते हैं, यदि भारत के हिसाब से बात करें तो. जॉब लॉस की दिशा में इंश्योरेंस कंपनी आपकी तीन महीने की ईएमआई चुकाएगी. इसके साथ कुछ शर्तें और नियम लागू हैं. इनकम रिप्लेसमेंट का विकल्प देने वाले ये कवर इसलिए ज्यादा काम के नहीं लग सकते हैं क्योंकि ये केवल उसी दशा में काम आते हैं जब आपको नौकरी से निकाला जाता है और ऐसे में हम जानते हैं कि भारत में नौकरी जाना इतना भी आम नहीं है.
ध्रुव कहते हैं कि आमतौर पर नौकरी से निकाला कम ही जाता है और व्यक्ति को जबरदस्ती रिजाइन करवाया जाता है. मर्जर और अधिग्रहण जैसे इसके अपवाद होते हैं. हालांकि बावजूद इसके कुछ खास मामलों में यह रिस्क कवर काम का तो है ही. और, यहां ध्यान दें कि जॉब से रिजाइन करना, छंटनी नहीं है. बेहतर होगा कि यदि यह इंश्योरेंस कवर लेने जा रहे हैं तो बीमा देने वाले से सभी शर्तें व नियम अच्छी तरह से बारीकी से जान लें.
सरीन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस कवर को अवेल करने या प्राप्त करने या पूरा इस्तेमाल करने के लिए नौकरी जाने की दशा में किसी प्रकार से क्लेम का रिजेक्शन न हो, जरूरी होगा कि आपके पास संबंधित दस्तावेज हों. नौकरी से निकाले जाने यानी छंटनी का लिखित सबूत सबसे जरूरी डॉक्युमेंट्स में से एक है जिससे यह भी पता चलता है कि जॉब जाने का कारण क्या था. इस दस्तावेज के बाद ही इस बाबत क्लेम किया जा सकता है.