देश में लंबे समय से जारी दाल संकट से कैसे उबरा जाए। इस अहम सवाल पर बहस के बीच अब प्रतिबंधित खेसारी दाल को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। खेसारी दाल पर साठ के दशक में ही प्रतिबंध लगा था, क्योंकि उसे सेहत के लिए नुकसानदेह माना गया। लेकिन अब वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि उन्होंने खेसारी दाल की तीन ऐसी किस्में विकसित की हैं जिसके इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं होगा।
नई विकसित किस्में नुकसान नहीं करेंगी
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की डायरेक्टर जनरल डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने NDTV इंडिया से कहा "खेसारी दाल की जो नई किस्में विकसित की गई हैं उनमें पुरानी किस्मों के मुकाबले टॉकसिन्स कम हैं। अगर खेसारी दाल को पकाया जाता है तो उनमें नुकसान वाले तत्व नहीं के बराबर बचेंगे।"
अल्प बारिश में भी उत्पादन संभव
अगर यह प्रयोग सफल रहा तो जल्द ही यह दाल देश में महंगी दाल का संकट दूर कर सकती है। डॉ स्वामीनाथन कहती हैं "खेसारी दाल की मांग ज्यादा है क्योंकि इसमें प्रोटीन ज्यादा है। खेसारी दाल दूसरी दालों के मुकाबले काफी सस्ती होती है, इसे ऐसे इलाकों में भी उगाया जा सकता है जहां बारिश कम होती है और जहां दूसरी किस्म की दालों का उगाना संभव नहीं है।"
रोगों का कारण बनने से कई दशकों से पाबंदी
खेसारी के इस्तेमाल से गठिया और कई दूसरे रोग हो सकते हैं। इसीलिए कई दशकों से इस पर पाबंदी है। फिर भी लोग इसे चुपचाप उगाते-खाते रहे हैं। खेसारी दाल की जो 3 नई किस्में विकसित की गई हैं उन्हें 6-7 साल की रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। इनमें नुकसानदेह तत्व नहीं के बराबर पाए गए हैं। देखना होगा कि खेसारी दाल पर फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्डस् अथॉरिटी ऑफ इंडिया अब इस मामले में आगे क्या रुख अख्तियार करता है।