डब्ल्यूटीओ में बड़ी सफलता, भारत व अमेरिका के बीच खाद्य सुरक्षा पर गतिरोध दूर हुआ

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में व्यापार सुगमता करार (टीएफए) के कार्यान्वयन का रास्ता खुल गया है। भारत व अमेरिका ने भारतीय किसानों के हितों को सुरक्षित रखते हुए खाद्य-सुरक्षा के मुद्दे पर गतिरोध को दूर कर लिया है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में व्यापार सुगमता करार (टीएफए) के कार्यान्वयन का रास्ता खुल गया है। भारत व अमेरिका ने भारतीय किसानों के हितों को सुरक्षित रखते हुए खाद्य-सुरक्षा के मुद्दे पर गतिरोध को दूर कर लिया है।

अमेरिका ने खाद्यान्न के भंडारण के मुद्दे पर भारत के प्रस्ताव का समर्थन करने की सहमति दी है। अब इसे डब्ल्यूटीओ की आम परिषद में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा, जिससे व्यापार सुगमता करार पर दस्तखत हो सकें। यह करार महीनों से अटका हुआ है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सफलता की घोषणा करते हुए कहा कि भारत व अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ में खाद्य खुरक्षा के उद्देश्य से सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण के मुद्दों पर मतभेदों को हल करने में सफलता हासिल की है।

उन्होंने कहा कि इससे डब्ल्यूटीओ को और अधिक सफलताओं के लिए तैयार किया जा सकेगा। इसके साथ ही सीतारमण ने भरोसा जताया कि सदस्य डब्ल्यूटीओ में इस मामले को रचनात्मक भावना के साथ आगे लेकर जाएंगे।

मंत्री ने आगे कहा कि कई देशों को डब्ल्यूटीओ में भारत के दृष्टिकोण उचित लगा है और अमेरिका ने भी इसकी सराहना की है। अब अमेरिका ने खुलकर सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण पर हमारी चिंता का समर्थन किया है।

सीतारमण ने कहा, भारत ने कभी भी व्यापार सुगमता में बाधा नहीं डाली। हम सिर्फ अपने किसानों के हितों का संरक्षण चाहते हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूटीओ की आम परिषद को भारत का प्रस्ताव मिलेगा और अमेरिका हमारा समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद भारत के रुख को लेकर समझ बेहतर हो पाई।

सीतारमण ने कई बार ट्वीट कर कहा, भारत बहुपक्षीय व्यापारिक प्रणाली का मजबूत समर्थक है और हम इसे और मजबूत करने को प्रतिबद्ध हैं। बाली करार परिपूर्ण नहीं था। हमने यह मुद्दा उठाया था। हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि मतभेदों को दूर कर लिया गया है।

सीतारमण ने एक बयान में कहा, भारत बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का बड़ा समर्थक है और वह इसे मजबूत करने एवं यह सुनिश्चत करने के लिए प्रतिबद्ध है कि डब्ल्यूटीओ वैश्विक आर्थिक गढ़ का मुख्य स्तंभ बना रहे। उन्होंने कहा, डब्ल्यूटीओ विकासशील देशों तथा विशेष तौर पर उनमें से सबसे गरीब और तंगहाल के हित में है और हम इस संस्थान को मजबूत करने के लिए काम करने के पक्ष में हैं। उन्होंने यह भी कहा, कुछ देशों के बीच की व्यापार व्यवस्था बहुपक्षीय प्रणाली की जगह नहीं ले सकती और यह डब्ल्यूटीओ के पारदर्शिता एवं समावेशिता संबंधी बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ है। हाल में डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया था कि यदि कुछ सदस्यों के बीच मतभेद हैं तो कुछ अन्य देशों में व्यापार समझौता हो सकता है।

भारत ने साफ किया था कि वह खाद्य सब्सिडी मामले का स्थायी समाधान होने तक टीएफए का समर्थन नहीं कर सकता, जिसके तहत वैश्विक सीमा-शुल्क मानदंडों को आसान बनाया जाना है।

भारत ने डब्ल्यूटीओ से कहा कि वह कृषि सब्सिडी के आकलन के लिए मानदंडों में संशोधन करे ताकि देश बिना डब्ल्यूटीओ के मानदंडों के उल्लंघन के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद कर उसे सस्ती दर पर गरीबों को बेचना जारी रख सके।

डब्ल्यूटीओ के मौजूदा मानदंडों के तहत खाद्य सब्सिडी का दायरा कुल खाद्यान्न उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत तक होना चाहिए, हालांकि सब्सिडी की मात्रा का आकलन दो दशक पहले की कीमत के आधार पर किया जाता है।

आशंका है कि जब भारत अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करेगा तो यह सीमा का उल्लंघन कर सकता है।

मुद्दा सुलझने के बीच सीतारमण ने कहा, हमने बाली पैकेज का समर्थन किया, लेकिन बाद के घटनाक्रम ने उम्मीद को झुठलाया तो भारत के पास इस प्रक्रिया को ठीक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा, इसलिए भारत ने यह रुख अपनाया कि जब तक हमारी समस्या का समाधान नहीं होता व्यापार सुगमता करार के लिए संशोधन (प्रोटोकॉल ऑफ अमेंडमेंट) प्रक्रिया पर सहमति जताना मुश्किल होगा। मंत्री ने कहा, हमें बेहद खुशी है कि भारत और अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण के मामले से जुड़ा मतभेद इस तरह सफलतापूर्वक सुलझा लिया है कि हमारी समस्या का समाधान हो गया।

उन्होंने कहा, इससे डब्ल्यूटीओ में गतिरोध खत्म हो जाएगा और व्यापार सुगमता करार लागू करने का रास्ता भी खुलेगा। सीतारमण ने कहा, हमें भरोसा है कि सदस्य देश डब्ल्यूटीओ में इस मामले को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाएंगे। यह डब्ल्यूटीओ का महत्वपूर्ण योगदान होगा, जिससे विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर होती है। उन्होंने कहा, हम डब्ल्यूटीओ के सदस्यों से अपील करते हैं कि वे मंत्रिस्तरीय सम्मलेन की ओर से आम परिषद में इस मामले को आगे बढ़ाएं। इससे डब्ल्यूटीओ को और ऐसी सफलता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने का रास्ता साफ होगा।

लेखक NDTV Profit Desk
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