ढाई वर्ष बाद एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को अंतत: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर क्लीन चिट दे दी, जबकि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा को आरोपी ठहराया। यह जानकारी विश्वस्त सूत्रों ने दी। संसदीय समिति के फैसले की विपक्ष ने आलोचना की है।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने बहुमत से अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दी है। समिति के अध्यक्ष पीसी चाको ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी, लेकिन रिपोर्ट के विषयवस्तु के बारे में खुलासा करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह गोपनीय दस्तावेज है।
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में भारत के तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय के आकलन का भी खंडन किया गया है कि लाइसेंस देने की प्रक्रिया में सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का चूना लगा।
चाको ने कहा कि चूंकि अभी संसद का सत्र नहीं चल रहा है इसलिए अक्टूबर के अंत तक डिसेंट नोट के साथ रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद इसे सार्वजनिक किया जा सकेगा।
चाको के मुताबिक मतदान में समिति के उपस्थित 27 सदस्यों ने हिस्सा लिया जिनमें से 16 ने समर्थन किया, जबकि 11 ने इसके विरोध में मतदान किया। तीन सदस्य मतदान के समय अनुपस्थित थे।
विरोध में मतदान करने वालों में भारतीय जनता पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम, द्रविड़ मुनेत्र कषगम और बीजू जनता दल के सदस्य शामिल हैं।
ये सदस्य अपनी असहमति अध्यक्ष को 10 अक्टूबर तक सौंपेंगे जिसे अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।