सरकारी सब्सिडी पर ब्रेक से रुकी इन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों की रफ्तार, हुआ ₹9000 करोड़ का नुकसान

सरकार इन कंपनियों से पहले मिली सब्सिडी का रिफंड भी मांग रही है.

Source: NDTV

सरकारी सब्सिडी पर रोक के बाद इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों ने भारी नुकसान की बात कही है. सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने दावा किया है कि 7 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों को बकाया सब्सिडी, ब्याज, कर्ज, कैपिटल कॉस्ट और मार्केट शेयर के नुकसान के कारण 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है.

सरकार हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पियर EV, रिवोल्ट मोटर्स, बेनलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया ऑटो से सब्सिडी का रिफंड भी मांग रही है. भारी उद्योग मंत्रालय की जांच से पता चला है कि इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर योजना के तहत लाभ उठाया है.

7 कंपनियों ने नियम का पालन नहीं किया

मंत्रालय ने कहा कि योजना के नियमों के मुताबिक 'मेड इन इंडिया' कंपोनेंट का इस्तेमाल करके इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन की अनुमति दी गई थी, लेकिन जांच में पाया गया कि इन सात कंपनियों ने कथित तौर पर बाहर से मंगाई गए सामान का इस्तेमाल किया था.

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मंत्रालय ने ई-मेल मिलने के बाद जांच की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कई EV निर्माता फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्लान (PMP) के नियमों का पालन किए बिना सब्सिडी का दावा कर रहे थे. फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्लान का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है.

फेम-2 योजना

1 अप्रैल 2019 को फेम-2 (FAME-2) योजना शुरू हुई थी जिसे 3 साल के लिए लागू किया गया ​था. इस योजना की आउटले राशि 10,000 करोड़ रुपये थी. इसके बाद जून 2021 में, इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स के लिए सब्सिडी राशि को वाहन की लागत के 40% की सीमा के साथ 10,000 रुपये प्रति किलोवॉट से बढ़ाकर 15,000 प्रति किलोवॉट कर दिया गया था.

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