क्रेडिट कार्ड हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. वित्तीय लेनदेन से लेकर, रिटेल आउटलेट में खरीदारी करने, ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए हम सभी प्लास्टिक मनी यानी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. टेलीफोन या बिजली का बिल जमा करने, एयर टिकट और होटल बुक करने के लिए भी क्रेडिट कार्ड का यूज बड़े पैमाने पर होता है. लेकिन जितनी तेजी से क्रेडिट कार्ड का चलन बढ़ा है, उतनी ही तेजी से धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं.
ऐसी ऑनलाइन धोखाधड़ी की समस्या का समाधान आसानी से नहीं होता. आमतौर पर बैंक ग्राहकों को ही दोषी ठहरा देते हैं. क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के मामलों में पूरी लड़ाई उपभोक्ता अकेले लड़नी पड़ती है. कमोबेश सभी बैंकों का क्रेडिट कार्ड का मुख्यालय चेन्नई है. ऐसे में मामला और भी पेचीदा हो जाता हैं. अगर धोखाधड़ी के शिकार हो जाएं तो ये उपाय अपनाएं जो आपके लिए मददगार हो सकते हैं :
- सबसे पहले जितनी जल्दी हो सके अपना कार्ड ब्लॉक करवाएं और अपने संबंधित बैंक को सूचना दें.
- कार्डहोल्डर डिस्प्यूट फॉर्म को भरकर संबंधित बैंक को ईमेल पर भेजें. इनकी हॉर्ड कॉपी बैंक के मुख्यालय को अवश्य भेजें और यदि बैंक इजाजत दे तो जिस बैंक में आपका अकाउंट है उसमें जमा करें. यदि अकाउंट नहीं है तब बैंक के कस्टमर केयर से बात कर किसी भी बैंक की शाखा में जमा कर सकते हैं.
- जितनी जल्दी हो सके ऑनलाइन पुलिस कंप्लेन दर्ज कर दें और उसका रेफरेंस नंबर या स्क्रीनशॉट लेना न भूलें. बाद में आप चाहें तो पुलिस कंप्लेन के स्क्रीनशॉट भी बैंक को शेयर कर सकते हैं.
- अपने नजदीक के साइबर पुलिस थाने में प्रतिवेदन दें. प्रतिवेदन की कॉपी बैंक को भी भेजना न भूलें.
- बैंक कंज्यूमर ग्रीवांस सेल से लगातार कम्यूनिकेशन बनाए रखें और अपने मामले की जानकारी लेते रहें.
- धोखाधड़ी से जुड़े मामलों का निपटान 90 दिनों के भीतर करना होता है. अगर फैसला आपके पक्ष में आए तो बैंक से एनओसी लेना न भूलें.
- आरबीआई बैंक कंज्यूमर ओम्बुड्समैन के पास जाएं.