PM मोदी सत्ता में हों तो भी, न हों तो भी अदाणी ग्रुप तरक्की करता रहेगा: GQG के राजीव जैन

राजीव जैन का कहना है कि उन्होंने हमेशा 'हवा के खिलाफ' जाकर दांव लगाए हैं.

Source: BQ Prime

GQG's Rajeev Jain Interview: जाने-माने निवेशक और फंड मैनेजर राजीव जैन का मानना है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में हों या न हों, अदाणी ग्रुप तरक्की करता रहेगा. PM मोदी से रिश्ते और अदाणी ग्रुप की व्यापारिक कामयाबी की निर्भरता पर उनका मानना है कि अदाणी ग्रुप का मुकाबला पब्लिक सेक्टर की 'कम डायनैमिक' कंपनियों से है, ऐसे में ग्रुप की कामया​बी बरकरार रहने में राजनीतिक जोखिम कम है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में अदाणी ग्रुप में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने वाले राजीव जैन ने कहा,

'उनकी फर्म GQG पार्टनर्स (GQG Partners LLC) ने भारतीय शेयरों में लगभग 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर लगा रखे हैं और गौतम अदाणी के समूह में निवेश करने से जुड़े कॉरपोरेट गवर्नेन्स और राजनीतिक जोखिमों की तरफ कतई तवज्जो न देते हुए उनकी योजना और भी शेयर खरीदने की है.'

GQG पार्टनर्स के पास सिगरेट और होटल समूह ITC लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी सन फार्मा, भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक और HDFC जैसे कुछ बैंकों सहित कई भारतीय कंपनियों के शेयर हैं.

'आने वाला वक्त इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों का'

GQG के मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) राजीव जैन ने एक इंटरव्यू में कहा, 'हमें प्राइवेट सेक्टर बैंक, IT कंपनियां और उपभोक्ता सामग्री (consumer staples) बनाने वाली कंपनियां पसंद हैं. लेकिन हमें लगता है कि आने वाला वक्त इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों का है और फिलहाल इस पर कम ध्यान दिया जा रहा है.'

GQG का इरादा सभी साउथ एशिया देशों में निवेश बढ़ाने का है और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद मार्च से अब तक अदाणी ग्रुप की 5 कंपनियों के शेयरों में लगभग 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर लगा चुका है.

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अदाणी के राजनीतिक संबंध को लेकर गलतफहमी

GQG के CIO राजीव जैन ने गौतम अदाणी के राजनीतिक संबंधों को लेकर गलतफहमियों पर अब तक के सभी इंटरव्यू के मुकाबले ज्यादा मुखर होकर बात की. उन्होंने कहा, 'अदाणी की कंपनियां भारत के बुनियादी ढांचा निर्माण और सुधार के लिए जरूरी हैं.' इस विचार पर कि 'अदाणी की व्यापारिक कामयाबी की निर्भरता या रिश्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में बने रहने के साथ है.'

अदाणी के बारे में जितना सोचा जाता है, उससे कहीं कम राजनीतिक जोखिम है. उनका बड़ा मुकाबला पब्लिक सेक्टर की कम डायनामिक कंपनियों से है, जिसकी वजह से हमारे विचार में राजनीतिक जोखिम घट जाता है.

न्यूयॉर्क स्थित शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग ने इसी साल जनवरी में अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाए थे, जिसके चलते एक समय ग्रुप की मार्केट वैल्यू में बड़ी गिरावट आ गई थी (हालांकि अब ग्रुप ने फिर से लगभग वही ऊंचाई पा ली है). मार्केट वैल्यू में गिरावट के बीच गौतम अदाणी के पुराने दिनों और भारतीय राजनेताओं के साथ उनके रिश्तों की कहानियां नए सिरे से सुर्खियों में आ गईं.

जैसा कि PM नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से अदाणी ग्रुप ने शानदार बढ़ोतरी दर्ज की है, कुछ लोगों का कहना है कि अगर सत्तासीन पार्टी (BJP) चुनाव हार जाती है, तो ग्रुप के बढ़ने की रफ्तार लड़खड़ा सकती है या कम हो सकती है.

अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि पिछले कई दशक में देश के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता बनकर उभरे नरेंद्र मोदी लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करेंगे.

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बहरहाल गौतम अदाणी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें सरकार की ओर से न तो विशेष सुविधा मिलती है, न वो इसकी उम्मीद करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कभी सीधे तौर पर कुछ भी नहीं कहा है.

'सरकार बदलने से फर्क पड़ने की संभावना नहीं'

राजनीतिक रुख बदलने से अदाणी ग्रुप पर फर्क पड़ने की संभावना नहीं है, इस बात के प्रमाण के तौर पर राजीव जैन ने विपक्षी पार्टी की सत्ता वाले राज्यों का उदाहरण दिया. जैसे राजस्थान, जहां गौतम अदाणी ने काफी निवेश किया है. राजीव जैन ने कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़ी उन चिंताओं को भी खारिज कर दिया, जो अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड की कुछ कंपनियों से लेनदेन को लेकर अपर्याप्त खुलासों के बारे में डेलॉइट हैस्किन्स एंड सेल्स LLP ने जताई थीं.

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'इतना हंगामा क्यों मच रहा है...'

राजीव जैन, कोयला खदानों से हवाईअड्डों तक अदाणी की क्वालिटी संपत्ति के साथ-साथ प्रोजेक्ट को लागू और पूरा करने की ग्रुप की क्षमता का बार-बार जिक्र करते रहे हैं. उन्होंने फिर कहा, 'लोग अदाणी ग्रुप के समूचे नतीजों पर ध्यान दिए बिना ही कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े मुद्दों को लेकर हो-हल्ला कर रहे हैं.' उन्होंने इन हालात की तुलना चीन में निवेश करने से भी की.

पारदर्शिता के अभाव को लेकर आलोचना झेलने वाले वेरिएबल इंट्रेस्ट एन्टिटीज (VIE) का जिक्र करते हुए राजीव जैन ने कहा, 'ऐसे किसी शख्स के बारे में सोचें, जो VIE ढांचे के तहत चीन की कंपनियों में निवेश कर रहा है, ये कभी भी निवेश के लिए अच्छा सेटअप नही होता है.'

बाजार का रुख जैन के पक्ष में

फिलहाल बाजार का रुख राजीव जैन के पक्ष में लग रहा है, क्योंकि अदाणी ग्रुप के शेयरों में तेजी आई है और पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने ग्रुप को ​क्लीन चिट दिया है. समिति की अंतरिम रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप द्वारा स्टॉक कीमतों में हेरफेर किए जाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के चलते हुए नुकसान से शेयरों के उबरने के बाद अब GQG का अदाणी की कंपनियों में निवेश लगभग 3.5 बिलियन डॉलर है. अदाणी ग्रुप की दो कंपनियों ने पिछले महीने 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की शेयर बिक्री की योजना की घोषणा की है.

राजीव जैन ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, 'हम निश्चित रूप से अदाणी ग्रुप में और निवेश करने में रुचि रखते हैं. हालांकि ये प्राइसिंग समेत कई चीजों पर निर्भर करता है. पत्थर पर कुछ भी नहीं लिखा है.'

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