अदाणी ग्रुप पर शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) के हमले को डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अब इससे जुड़े खुलासे दुनिया के सामने आ रहे हैं. ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एक एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलर, एक न्यूयॉर्क हेज फंड, एक मॉरीशस-बेस्ड इन्वेसेंटमेंट कंपनी और एक बड़े भारतीय बैंक से जुड़े ब्रोकर ने दुनिया के इस सबसे घातक शॉर्ट सेलर हमले में अपनी भूमिका निभाई.
बीते कुछ दिनों से शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) और भारत के मार्केट रेगुलेटर SEBI के बीच चल रही तनातनी और जवाबी हमलों ने अदाणी समूह के खिलाफ जारी की गई उस रिपोर्ट के पीछे के किरदारों को बेनकाब करना शुरू कर दिया है, परत-दर-परत सच सामने आने लगा है.
छापने से पहले साझा की गई रिपोर्ट
जब SEBI ने हिंडनबर्ग से अदाणी ग्रुप के खिलाफ उसकी भ्रामक रिपोर्ट के बारे में जवाब मांगा, तो शॉर्टसेलर ने मार्केट रेगुलेटर के आरोपों का जवाब देने के लिए अपनी ही वेबसाइट पर एक बेहद आक्रामक खंडन पोस्ट किया, जिसमें उसने सेबी के उस कारण बताओ नोटिस का भी लिंक जोड़ा- जो कि एक 46 पेज का लेटर है, जिसमें एक बेहद सुनियोजित तरीके से किए गए लेन-देन का विवरण दिया गया था, जिसने महीनों तक भारत के शेयर बाजार में हलचल मचाई थी.
SEBI की ओर से भेजी गई चिट्ठी में पहली बार ये बात सामने आई कि अदाणी ग्रुप पर तैयार की गई रिपोर्ट को हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर छापने से पहले खास तौर पर किंग्डन कैपिटल (Kingdon Capital Management) के साथ साझा किया था, ये भी खुलासा हुआ कि हिंडनबर्ग और किंग्डन के बीच एक 'प्रॉफिट शेयरिंग डील' भी थी. रिपोर्ट छपने के बाद जो मुनाफा हुआ वो किंग्डन कैपिटल को ज्यादा हुआ, उसने जो भी पैसा लगाया था, हिंडनबर्ग के मुकाबले उसने तीन गुना ज्यादा मुनाफा कमाया था. इससे एक बात भी सामने आई कि इन ट्रेड्स के लिए किंग्डन ने भारत के एक बहुत बड़े बैंक की मदद ली थी.
SEBI की जांच के दायरे में हिंडनबर्ग, उसके फाउंडर नाथन एंडरसन, किंग्डन के फाउंडर मार्क किंग्डन और मॉरीशस बेस्ड इन्वेस्टर 'K India Opportunities Fund' शामिल हैं, इसलिए इन सभी को लंबा चौड़ा नोटिस भेजा गया था.
ब्लूमबर्ग का कहना है कि उसने SEBI से इस पर जवाब मांगा है, लेकिन अभी तक कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है, अदाणी ग्रुप और हिंडनबर्ग ने भी कोई जवाब अभी तक नहीं दिया है. किंग्डन ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
कैसे रचा गया खेल, कैसे हुई मुनाफे की बंदरबांट
SEBI ने इस मामले की तह तक जाने के लिए नवंबर 2022 से हिंडनबर्ग के ओर से किए गए सभी ई-मेल, संदेशों की जांच पड़ताल शुरू की, यानी करीब एक महीने पहले जब रिपोर्ट को किंग्डन के साथ साझा किया गया और करीब तीन महीने पहले जब इसे हिंडनबर्ग ने प्रकाशित किया. लेकिन क्या रिपोर्ट को साझा करना कोई अपराध है, इस पर अल्टरनेटिव मैनेजमेंट एसोसिएशन के एशिया-पैसिफिक को-हेड खेर शेंग ली का कहना है कि चुनिंदा निवेशकों के साथ रिसर्च को रिलीज से पहले साझा करना कोई असामान्य बात नहीं हैं, खासतौर पर शॉर्ट सेलर्स के बीच, लेकिन इसकी कानूनी वैधता 'फैक्ट सेंसिटिव' है, यानी इसका इस्तेमाल कहीं मार्केट में हेरफेर करने या फिर इनसाइडर ट्रेडिंग के इरादे से तो नहीं किया गया'.
SEBI के लेटर के मुताबिक किंग्डन, जिसकी 'K India fund' में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी थी, उसने हिंडनबर्ग के साथ 'प्रॉफिट शेयरिंग एग्रीमेंट' किया था, जिसमें हिंडनबर्ग को अपनी रिसर्च के आधार पर शेयरों में ट्रेडिंग से किसी भी प्रॉफिट का 30% हिस्सा 'कट' के तौर पर मिलता था. अदाणी ग्रुप पर शॉर्ट ट्रेड के लिए 'K India fund' के जरिए ट्रेड्स को रूट करने के लिए लगने वाले अतिरिक्त समय और कोशिशों के कारण ये 'कट' घटाकर 25% कर दिया गया था.
अब समझिए कि किंग्डन ने कैसे अदाणी के शेयरों में खेल करने के लिए सेटअप तैयार किया. दिसंबर के आखिर तक किंग्डन ने फंड के शेयरों को सब्सक्राइब करना शुरू कर दिया था, और जनवरी में अदाणी एंटरप्राइजेज में शॉर्ट पोजिशन बनाने के लिए दो किस्तों में 4.3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर भी किए. किंग्डन कैपिटल ने ट्रेड्स को एग्जीक्यूट करने के लिए भारत के बैंकिंग दिग्गज कोटक महिंद्रा (इंटरनेशनल) लिमिटेड या KMIL के साथ एक एग्रीमेंट किया.
फिर 'K India fund' ने 10 से 20 जनवरी के बीच, यानी रिपोर्ट जारी होने के कुछ दिन पहले ही फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए 8.5 लाख शेयरों के लिए शॉर्ट पोजीशन बनाई और 1 फरवरी से 22 फरवरी के बीच इन पोजीशन को स्क्वॉयर-ऑफ कर दिया, यानी शेयरों को बेच दिया. SEBI ने अपने नोटिस में बताया कि इससे किंग्डन ने 2.23 करोड़ डॉलर का प्रॉफिट कमाया.
अब चूंकि डील के मुताबिक प्रॉफिट का 25% कट शॉर्ट सेलर को भी मिलना था, इसलिए हिंडनबर्ग को किंग्डन की तरफ से 55 लाख डॉलर मिलने वाले थे. इसमें से करीब 41 लाख डॉलर का भुगतान 1 जून तक कर दिया गया था. ये पूरा खेल था प्रॉफिट कमाने और उसकी बंदरबांट का.
शॉर्टसेलर्स की मुश्किलें बढ़ीं, रेगुलेटरी फंदा कसा
SEBI के नोटिस पर हिंडनबर्ग का कहना है कि रेगुलेटर उन लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रहा है, जो भारत में धोखाधड़ी से पर्दा उठा रहे हैं, आमने-सामने की ये लड़ाई अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती हुई दिख रही है, क्योंकि शॉर्ट सेलर्स खुद को अब रेगुलेटर के फंदे में फंसता हुआ महसूस कर रहे हैं.
तीन साल पहले हेज फंड और शक के दायरे में आए रिसर्चर्स के बीच के रिश्तों की जांच करने लिए अमेरिका ने एक बड़ी मुहिम चलाई थी, लेकिन इसने इंडस्ट्री को परेशान करना शुरू कर दिया था क्योंकि जांचकर्ता फंड मैनेजर्स और एक्टिविस्ट्स पर खुफिया जानकारी जुटाना चाहते थे.
अमेरिका का न्याय विभाग ट्रेडिंग का गलत तरीके से फायदा उठाने वालों की तलाश में शॉर्ट सेलिंग में लगे दर्जनों इन्वेस्टमेंट फर्म्स और रिसर्चर्स के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहा था. जांच में हाल ही में कामयाबी हाथ लगी और इसमें पहली सजा भी मिली. जो कंपनियों के शेयरों को गिराने में लगे रिसर्चर्स और हेज फंड्स के बीच साठगांठ की अनोखी तस्वीर पेश करती है.
SEBI के नोटिस के मुताबिक - किंग्डन कैपिटल का कहना है कि उसको कानूनी सलाह मिली हुई है कि वो अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन किए बिना ड्राफ्ट रिपोर्ट को हासिल कर सकता है और इन्हें सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने से पहले निवेश भी कर सकता है.
कोटक कनेक्शन, साफ-सफाई और जवाबी हमला
शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने भी 1 जुलाई को बयान जारी करके कोटक महिंद्रा बैंक के साथ उसके संबंधों को लेकर की गई कागजी कार्रवाई के लिए SEBI पर जवाबी हमला किया. हिंडनबर्ग ने कहा, नोटिस साफ तौर पर उस पार्टी का नाम बताने में नाकाम रहा है, जिसका भारत से वास्तविक रिश्ता है.
कोटक बैंक भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्म्स में से एक है, जो किंग्डन के ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर की देखरेख करता है'. हिंडनबर्ग ने कहा कि इसके बजाय, इसने 'K-India Opportunities fund' फंड का नाम दिया और 'कोटक' नाम को 'KMIL' के संक्षिप्त नाम से छिपा दिया.'
इधर, कोटक बैंक भी अपनी सफाई में उतरा, उसने कहा कि हिंडनबर्ग कभी भी कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल का ग्राहक नहीं रहा है और न ही वो कभी के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेशक रहा है. फंड को कभी भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि हिंडनबर्ग उसके किसी निवेशक का भागीदार था.'
नियमों का उल्लंघन
SEBI ने कहा कि रिपोर्ट के पाठकों को गुमराह करने और अदाणी ग्रुप के शेयरों में घबराहट पैदा करने के लिए इन गलतबयानी ने चुनिंदा खुलासों, लापरवाह बयानों और रोचक हेडलाइंस के जरिए एक सुविधाजनक कहानी गढ़ी, जिससे कीमतों में ज्यादा से ज्यादा गिरावट आई. अपने नोटिस में मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट छापकर स्थानीय सुरक्षा कानूनों का भी उल्लंघन किया है, क्योंकि ये भारत में एक रिसर्च फर्म के रूप में लिस्टेड भी नहीं थी. इसके उलट, हिंडनबर्ग को लगता है कि SEBI निवेशकों को सावधान करने वालों को चुप करा रहा है.