वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत की माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को अपनाने की राह ‘लगभग निर्विघ्न’ रही है और यह ‘गलत-जानकारी’ रखने वाले विपक्ष के इसे ‘बेपटरी’ करने के कई प्रयासों के बावजूद हुआ है. जेटली इन दिनों एक सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर हैं. यहां वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्वबैंक की वार्षिक बैठकों में शिरकत करेंगे.
GST रिटर्न दाखिल करने का अंतिम मौका आज, सरकार का तारीख बढ़ाने से इनकार
अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत सरकार ने कई आकर्षक योजनाएं शुरू कीं ताकि भारत में कर के लिए गैर-अनुपालन की स्थिति को कर-अनुपालन की दिशा में ले जाया जाए. न्यूयॉर्क में एक संबोधन में उन्होंने कहा, राजनीतिक समूहों ने जीएसटी को बेपटरी करने के कई प्रयास किए, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि उनकी खुद की राज्य सरकारों ने उनकी बातों को नहीं सुना क्योंकि वे समझ रही हैं कि इसका 80% हिस्सा राज्य के पास आएगा और इसीलिए उन्होंने अपनी पार्टी के कम जानकारी रखने वाले केंद्रीय नेता की बात को स्वीकार नहीं किया और अपने राज्य के राजस्व का नुकसान होने से बचाया. उन्होंने यह बात यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अमेरिका चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के एक संयुक्त कार्यक्रम ‘भारत के बाजार सुधार : आगे बढ़ने का रास्ता’ में प्रश्नों का जवाब देते हुए कही.
शिवसेना का आरोप, गुजरात चुनाव को ध्यान में रखकर GST की दरों में की गई कटौती
जेटली ने कहा, राज्य सरकारें समझदार हो रही हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी के साथ मुख्य समस्या यह है कि जो लोग कर अनुपालन नहीं कर रहे थे, संयोगवश इसकी वजह से वे पकड़ में आ गए. इसके चलते विभिन्न तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं. अब इनमें से कुछ कानूनी हैं जबकि कुछ को कर नहीं चुकाने वालों ने पैदा किया कि जीएसटी उनके लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है. जेटली ने कहा कि सरकार के पास इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वह सही और जबरदस्ती पैदा की गई शिकायतों में भेद कर सकें.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)