भारत और अन्य देशों के दबाव के बीच स्विट्जरलैंड ने अपने कुछ कानूनों में प्रमुख बदलाव किए हैं जिनका संबंध विदेशी मुल्कों को कथित रूप से स्विस बैंकों में रखे काले धन की जांच में सहयोग करने की व्यवस्था से है।
ये बदलाव इस महीने से प्रभावी हो गए है। इनके तहत वह स्विस बैंकों में भारत और अन्य देशों के लोगों के कथित काले धन की जांच में सहयोग के लिए उन देशों के अधिकारियों के 'सामूहिक आवेदनों' पर विचार कर सकता है। ऐसे मामलों में स्विट्जरलैंड के अधिकारी ब्योरा साझा करने से पहले संदिग्ध व्यक्तियों या इकाइयों को उस बारे में कोई सूचना नहीं देंगे।
हालांकि इसके लिए भारत या ब्योरे के लिए अनुरोध करने वाले देशों को यह साबित करना होगा कि संदिग्ध खातेदार को इस बारे में पहले सूचना देने से जांच का प्रयास और सहयोग के अनुरोध का उद्देश्य व्यर्थ हो सकता है।
स्विस बैंकिंग कानून के तहत जांच में दूसरे देशों के साथ सहयोग में एक बड़ी अड़चन यह थी कि इनके तहत सूचना देने से पहले संबंधित व्यक्ति को इसकी सूचना देनी होगी और वह उसके खिलाफ अपील कर सकता है तथा अनुरोध के तहत दी जाने वाली सूचना को देख सकता है।
स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक सहायता पर संघीय कानून में संशोधन करते हुए इन उपबंधों को बरकरार रखा है, लेकिन संशोधन के जरिये कानून में कम-से-कम 10 बदलाव किए गए हैं, ताकि दूसरे देशों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान में आसानी हो सके।
इनमें से एक संशोधन के अनुसार अगर कोई दूसरा देश देश किसी मामले में सूचना के आदान प्रदान की गोपनीयता के लिए ठोस आधार साबित करता है तो एफटीए (फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन) संबंधित व्यक्ति (खातेदार) को उसके खाते के बारे में उपलब्ध कराई जाने वाली सूचनाओं की फाइल देखने की अपील करने की अनुमति देने से मना कर सकता है।