SEBI, BSE और NSE पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना, जानिए क्यों हुई कार्रवाई?

डॉ प्रदीप मेहता और विदेश में रहने वाले उनके बेटे के डीमैट खातों को प्रोमोटर मानकर गलत तरीके से अकाउंट फ्रीज कर दिया था.

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बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने SEBI, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और BSE पर 80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इन तीनों संस्थाओं पर ये जुर्माना इसलिए लगाया गया है क्योंकि इन्होंने एक व्यक्ति डॉक्टर प्रदीप मेहता और विदेश में रहने वाले उनके बेटे के डीमैट खातों को गलती से प्रोमोटर मानकर अकाउंट फ्रीज कर दिया था.

जस्टिस GS कुलकर्णी और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की बेंच ने खाता फ्रीज करने को 'अधिकारों का उल्लंघन' बताया और कोर्ट ने डीमैट खाता फ्रीज करने को 'अवैध और अमान्य' घोषित किया.

क्या है मामला?

वरिष्ठ नागरिक और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रदीप मेहता ने अपने बेटे नील प्रदीप मेहता के साथ मिलकर याचिका दायर की थी. नील सिंगापुर में रहने वाले एक ऐंजल इन्वेस्टर हैं. इनकी याचिका के मुताबिक 2014 में नील मेहता ने HDFC बैंक में एक नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (NRO) अकाउंट और एक डीमैट अकाउंट खोला था. लॉजिस्टिक सुविधा के लिए HDFC बैंक ने डॉ प्रदीप मेहता को डीमैट खाते में सेकंड होल्डर के रूप में जोड़ने का सुझाव दिया था.

हालांकि, जुलाई 2018 में, नील मेहता को पता चला कि बिना किसी सूचना के उनके डीमैट खाते को फ्रीज कर दिया गया था. पूछताछ करने पर उन्हें 10 जुलाई और 8 अगस्त, 2018 को NSDL से खबर प्राप्त हुई, जिसमें संकेत दिया गया कि अनिवार्य रूप से डीलिस्ट की गई कंपनियों के प्रोमोटरों के PAN से जुड़े SEBI सर्कुलर के आधार पर खाता फ्रीज किया गया था. इस मामले में ये ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रेगुलेटर्स की कार्रवाई श्रेनुज एंड कंपनी लिमिटेड पर कार्रवाई का हिस्सा थी.

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डॉ प्रदीप मेहता के निवेश में श्रेनुज एंड कंपनी लिमिटेड के शेयर शामिल थे, एक ऐसी कंपनी जिसमें उन्होंने 1989 और 1993 में खरीदे गए शेयरों के माध्यम से निवेश किया था.

श्रेनुज में उनकी न्यूनतम भागीदारी के बावजूद उनके डीमैट खाते को फ्रीज कर दिया गया था. श्रेनुज में नील मेहता के निवेश, जिसमें स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू के कारण काफी संख्या में शेयर शामिल थे. पिता और पुत्र दोनों ने तर्क दिया कि उनके खातों को फ्रीज अनुचित तरीके से किया गया था, क्योंकि कंपनी के कथित मुद्दों से उनका सीमित और अप्रत्यक्ष संबंध था.

इस मामले पर अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ये मामला अत्यधिक गंभीर है और ये दिखाता है कि याचिकाकर्ता के डिमैट खाते को फ्रीज करने का निर्णय एकतरफा और लापरवाह तरीके से लिया गया. कोर्ट ने SEBI और एक्सचेंजों NSE और BSE को निर्देश दिया कि वे बेटे को 50 लाख रुपये और पिता को 30 लाख रुपये हर्जाने के रूप में दें.

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